स्टोव और सिलेन्डर फट चुकने के बाद
सल्फास की गोलियों के ख़त्म होने के बाद
अब औरतें तालाब में डुबोकर मारी जा रही हैं
ठंडी रोटी परोसने पर कूटी जा रही हैं
छत से सामान की तरह फेंकी जा रही हैं
कई टुकड़ों में फ्रिज में रखी जा रही हैं
धीरे-धीरे ठिकाने लगाई जा रहीं
ओवन में ठूँसी जा रही हैं
सड़कों पर घसीटी जा रही हैं
घरों में कूची जा रही हैं
डॉक्टर हों या कोमा में पड़ी मरीज
6 महीने की नवजात हो
या 70 बरस की दादी
वे बस नोची जा रही हैं
घर, सड़क, स्कूल, दफ़्तर
हर जगह कई दर्जन निगाहें उनकी देह के
हर हिस्से को खंगाल रहे हैं
वे गर्भ में जिंदा बच जाने से लेकर
जीवन के हर मोड़ पर
शुक्रगुजार होना सीख रहीं
शुक्रगुजार कि वे अब तक जिंदा हैं
तो क्या हुआ कि उनके सपने मार दिये गए
वे हर पल ठगी जा रही हैं
फिर भी वे न प्यार करना छोड़ पा रही
न भरोसा करना
और एक आप हैं...?
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मरने से पहले
मरने से पहले स्त्री के ज़ेहन में
घूमता है पति का ख़्याल
बच्चों की फिक्र
घर के काम
कुछ हिसाब जो अधूरे रह गए
कुछ बिल जो पेंडिंग रहे
कुछ वादे जो पूरे न हो सके
कुछ पल जो कभी जी न सके
मरने से पहले स्त्री सबको माफ करती है
वो अपनी मौत का जिम्मेदार खुद को चुनती है
और पति के उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है।
मरने से पहले पुरुष को
याद आते हैं पत्नी के सारे ऐब
वो अपनी मौत से लेना चाहता है
प्रतिशोध
उसके ज़ेहन में नहीं आता
बच्चे का ख़्याल
न माँ-बाप की चिंता
न घर के काम
उसके ज़ेहन में आता है सिर्फ प्रतिशोध
वो अपनी मौत को शस्त्र की तरह
उपयोग में लाता है
और गुहार लगता है पत्नी के लिए
कड़ी से कड़ी सजा की
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