Friday, June 21, 2024

बहुत दिन हुए


बहुत दिन हुए 
किसी झरे हुए पत्ते को
हथेली पर रखकर
देर तक निहारा नहीं

बहुत दिन हुए
किसी सूखी नदी से नहीं सुना
पानी की स्मृति का गीत

बहुत दिन हुए
किसी सपने से टकराकर
चोट नहीं खाई

बहुत दिन हुए 
किसी ने दिल नहीं तोड़ा 
कोई छोड़कर गया नहीं 

बहुत दिन हुए 
किसी कविता ने माथा नहीं सहलाया 
गले से नहीं लगाया 

बहुत दिन हुए कोई दुख
बगलगीर होकर गुजरा नहीं

कितना सूना है जीवन
बहुत दिनों से....

Tuesday, June 18, 2024

स्क्रीन पर प्रेम रचता है ये लड़का


एक बदली पलकों पर आ बैठी है...उस बदली को मेरे मुस्कुराने का इंतज़ार है और मुझे उसके बरसने का। हम दोनों इंतज़ार की ड्योढ़ी पर बैठी हुई हैं। बारिशें बस होने को हैं। राहत की बारिशें, उम्मीद की बारिशें... 

इन दिनों यात्राओं में नहीं हूँ लेकिन यात्रा पर ही हूँ। अक्सर ऐसा महसूस होता आया है किसी यात्रावृत्त को पढ़ते हुए लेकिन इन दिनों ऐसा हो रहा है यात्रा में किसी को देखते हुए। तकनीक के बढ़ते कदम कितनी राहतें लेकर आए हैं। बस हमें ढूंढनी हैं ये राहतें। इन दिनों मेरी राहतें हैं कनिष्क गुप्ता के ट्रैवेल वीडियो। पहली बार जब कनिष्क का वीडियो देखा था तब ही लगा था कि ये कुछ अलग है। ट्रैवेल वीडियो के नाम पर दृश्य, सूचनाओं के ढेर और अति उत्साह में की गयी कमेंटरी कुल मिलाकर कुछ खास कनेक्ट नहीं कर पाते।

कनिष्क ने कुछ प्रयोग किए हैं। उनके वीडियो शुरू होते हैं और स्क्रीन पर सुंदर दृश्यों के साथ ठहरा हुआ स्वर उभरता है। कितनी ही बार रोएँ खड़े हुए इन वीडियो को देखते हुए। कितनी बार सुख आँखों से फिसलकर गालों पर टहलता हुआ भी मिला है। कनिष्क खूब रिसर्च करते हैं लेकिन उस रिसर्च को सूचनाओं की तरह नहीं किसी प्रेमगीत की तरह साझा करते हैं। आप उनके साथ मेघालय जाइए, दार्जिलिंग जाइए, हर्षिल, स्पीति, अरुणाचल या कहीं और आप भूल जाएंगे कि आप किसी कमरे में बैठे हैं और देख रहे हैं। 

कनिष्क स्क्रीन पर कोई जादू रचते हैं। बादलों का उठता हुआ सैलाब, हरियाली का उगता समंदर, घर, जंगल, फल, फूल, रोटी, चाय, लोग, मुस्कुराहटें ऐसे संग आ बैठते हैं करीब कि मन हल्का होने लगता है। बैकग्राउंड म्यूजिक ऐसा जैसे बारिश गुनगुनाने लगी हो, धरती नृत्य करने लगी हो। एक ही वीडियो को न जाने कितनी बार देखने के बाद भी मन नहीं भरता तो किसी दोस्त को भेज देती हूँ कि लो, तुम भी तो देखो। काम की आपाधापियों के बीच में एक छोटे से ब्रेक में भी इन वीडियोज़ ने राहत दी है।

घूमना कैसा होना चाहिए, कैसे होना चाहिए ये बताते हैं कनिष्क। कैमरा वर्क तो शानदार है ही कनिष्क की कमेंटरी जैसे कोई संगीत सा झरता हो। कोई हड़बड़ी नहीं, कहीं पहुँचने की कोई जल्दी नहीं, कुछ बताने की जल्दबाज़ी नहीं। कनिष्क वीडियो के बहाने हर लम्हे को जी भरके जीते हैं, खुश रहते हैं और यह उनके बोलने में, चलने में, मुस्कुराने में, थक कर बैठ जाने में भी खूब झलकता है।

इन दिनों ये वीडियो राहते हैं....प्रकृति और प्रेम को बचा लीजिये सब बचा लेंगे। प्रकृति के प्रेम में डूबा यह लड़का दुनिया में कितना कुछ बचा रहा है, ये बात शायद ये खुद भी नहीं जानता। फिलहाल कनिष्क राहत हैं...प्रेम हैं...भरोसा हैं, सुख है।
@KanishkGupta
https://www.instagram.com/knishkk/

Saturday, June 15, 2024

अब जीने से डरती नहीं हूँ



जैसे कोई अपना ही ख़्वाब रखा हो जरा सी दूरी पर। टुकुर-टुकुर ताक रहा हो। हाथ बढ़ाते हुए भाग जाता हो। जैसे बचपन का कोई खेल। ऐसे ही तुम आए थे जीवन में। 'आए थे'...इसे लिखते हुए जैसे खुद का ही कोई हिस्सा कटकर गिर गया हो। मैंने वाक्य को दुरुस्त किया और लिखा ऐसे ही तुम आए जीवन में।

कोई भी जिया हुआ लम्हा हमसे कभी जुदा नहीं होता। और हम व्यक्ति के जुदा होते ही उस खुश लम्हे की स्मृति में भी उदास रंग घोलने लगते हैं। हमें जीना नहीं आता। हमें खुश होना नहीं आता। हमें उदास होना भी नहीं आता। आज जब अपने जिये हुए लम्हों को छूकर देखती हूँ तो वो हँसकर पूरे घर में बिखर जाते हैं। मेरी देह में जैसे सावन उतर आता है। वो सारा जिया हुआ संगीत, सारी जी हुई शरारतें, सारा साथ पैदल चला हुआ, सारा साथ में भीगा हुआ सब कुछ पोर पोर में खिल उठा है।

हम कहते हैं एक लम्हे का मुक्कमल सुख पूरे जीवन की मुश्किलों पर भारी होता है। वो एक लम्हा जो हमारे समूचे वजूद को रूई के फाहे की तरह हल्का बना देता है। तमाम उलझनों से निकाल लेता है, वही लम्हा तो जीवन है।

मैंने उन लम्हों को यादों के कोठार में बंद करके उन लम्हों की प्रतिकृति बनाने की कोशिश में खुद काफी जख्मी कर लिया। और तब अक्ल आई कि प्रतिकृति सिर्फ प्रतिकृति ही है। मैंने कोठार का दरवाजा खोला और घर स्मृति में बसे खुश लम्हों की खुशबू से भर गया। Keeny G का संगीत मेरी मुस्कुराहट का सबब कभी भी बन सकता है।

मैं अब ख़्वाब देखने से डरती नहीं हूँ। उन्हें छूने से भी नहीं घबराती। और हाँ, अब मैं जीने से भी नहीं डरती हूँ। इस सुबह में जीवन खिला हुआ है। नींद खुल गयी है और ख़्वाब टूटा नहीं है।