Wednesday, May 4, 2022

दुनिया को तुम्हारी आँखों की तरह होना चाहिए...



लाड़ो मेरी,
अब जबकि तुम बसंत के 18 रंग देख चुकी हो, तितलियों से तुम्हारी दोस्ती एकदम पक्की हो चुकी है, आसमान भर साहस तुम्हारी आँखों में रहने लगा है तो तुम्हें देखना एक अलग ही सुख से भरता है. तुम्हारी आँखों को देखती हूँ तो लगता है दुनिया को तुम्हारी आँखों की तरह खूबसूरत होना चाहिए. उम्मीदों और सपनों से भरी आँखे.

तुम्हें याद है तुम्हारे कुछ सवालों पर मैं तुमसे कहती थी समय आने पर इन पर बात करेंगे तो शायद अब वो समय आ गया है. और अब जबकि वो समय आ गया है मैं जानती हूँ तुम्हारे वो सवाल अब रहे ही नहीं हैं. सवालों के साथ ऐसा ही होता है. मैंने तो यही समझा है कि सवालों के जवाब तलाशने की हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए बल्कि तसल्ली से उन सवालों के साथ रहना चाहिए. नए सवालों को उगने देना चाहिए. कई बार जिस सवाल का जवाब हम तलाश रहे होते हैं असल में वह सवाल होता ही नहीं है. सवाल तो कोई और होता है. और हम निरर्थक सी किसी खोज में जुटे होते हैं. सवालों की बाबत यह बात वाकई कमाल की है कि जीवन में सवालों के होने में हमारा होना बचा रहता है. कई बार साथ रहते-रहते सवालों के भीतर ही जवाब उगने लगते हैं.

लाड़ो मेरी, संभावना एक खूबसूरत शब्द है जो साहस से सजता है. इसके बाद कुछ भी मुश्किल नहीं रह जाता. मुझे ख़ुशी है कि तुम यह जान चुकी हो. हम दोनों ने मिलकर जो उम्मीदों के नन्हे-नन्हे बीज बोये थे वो अब तुम्हारी आँखों में उगने लगे हैं. तुम्हारी सपनों से भरी आँखों से दुनिया बेहद खूबसूरत दिखने लगी है. मैं जानती हूँ जिस तरह तुमने मुझे ढेर सारी नयी बातें सिखायीं, नया नज़रिया दिया दुनिया को देखने का उसका पूरी दुनिया को इंतज़ार है.

अब जबकि तुम पहली बार मुझसे दूर जा रही हो तो कितना कुछ ‘पहली बार’ होना तुम्हारे करीब आ गया है. तुम महसूस करोगी कि आसमान पहली बार हथेलियों में रखा हुआ है. तुम जानोगी सख्त धूप में खिलखिलाते गुलमोहर की हंसी का राज. पहली बार यूँ होगा कि ठोकर लगेगी तो खुद ही उठोगी और सीखोगी कि आने वाली ठोकरों से कैसे बचा जाता है. पहली बार होगा कि कोई सफ़ेद बुलबुला तुम्हें घेरे रहेगा. ऐसा ही बहुत सारा पहली बार मेरी ज़िन्दगी में भी आया है. पहली बार तुम्हें खुद से दूर जाते देखना...पहली बार तुम्हारे लौटने का इंतज़ार, पहली बार तुम्हारी हथेलियों को, पलकों की चूमने की इच्छा होना और चूम न पाना.

तुम अपने ज़िन्दगी के सफर में चल सको मन मुताबिक, कुछ भी किसी को भी साबित करने के दबाव से दूर बिलकुल अपने मन के क़रीब. कि इस दुनिया को सबसे ज्यादा तुम्हारे खुश होने का इंतज़ार है.

तुम्हारी
मम्मा

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