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Saturday, November 22, 2008
हँसी
धुप में बारिश होते देख के
हैरत करने वाले!
शायद तुने मेरी हँसी को
छूकर
कभी नहीं देखा
1 comment:
neelima garg
said...
nice poem...
December 3, 2008 at 12:17 PM
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1 comment:
nice poem...
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