एक खिड़की थी छोटी सी
एक आसमान था बड़ा सालड़कियों को सिखाया गया
खिड़कियों को सजाना-संवारना
उस सजी धजी खिड़की से
आसमान को देखना
और इतने से ही खुश हो जाना
खुशक़िस्मत समझना ख़ुद को
कि उनके पास खिड़की है तो कम से कम
उन्हें शुक्रिया कहना सिखाया गया
घर देने वाले का
ताकि वो उसे सजाती-संवारती रहें
खिड़की देने वाले का
जिसमें वो एक टुकड़ा
आसमान थोड़ी सी बूँदों की झालर
लगाती रहें
लोग कहते रहें
कितना सुंदर घर सजाती हो
लड़कियों को खिड़कियाँ और दीवारें लांघकर
बाहर जाना नहीं सिखाया गया
उन्हें नहीं बताया गया
कि आसमान सिर्फ़ देखने के लिए नहीं होता
उड़ान भरने के लिए होता है.
लड़कियों ने खुद ही सीख लिया एक रोज़
बिना दीवारों वाला घर बनाना
आसमान सिर्फ़ देखना नहीं
उसमें ऊँची उड़ान भरना भी
अब वो सिर्फ़ घर, दहलीज़
और खिड़कियाँ नहीं सजातीं
पूरी दुनिया को सुंदर बना रही हैं
अपनी मुस्कुराहटों से भी
और अपने प्रतिरोध से भी.
1 comment:
बहुत सुंदर
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