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Tuesday, January 21, 2014
ये सूरज बदल दो यारो
दूर पहाड़ियों पर
गिरती है बर्फ
हर बरस
पिघलती है बर्फ
हर बरस
कहीं कुछ है
जो सदियों से नहीं पिघला
ये सूरज बदल दो यारो
कि इसकी हरारत
जरा कम सी है.…
2 comments:
संजय भास्कर
said...
खूब .... उम्दा पंक्तियाँ रची हैं
January 22, 2014 at 10:12 AM
प्रवीण पाण्डेय
said...
प्रीति ही ऊष्मा बनकर पसर जाये।
January 22, 2014 at 4:03 PM
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2 comments:
खूब .... उम्दा पंक्तियाँ रची हैं
प्रीति ही ऊष्मा बनकर पसर जाये।
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