Friday, June 5, 2020

इतना भी मत याद किया करो


क्या तुमने अभी, ठीक इसी पल कोई आवाज सुनी? टप्प से टपकने की? ढूंढना मत, वो आवाज तुम्हें नहीं मिलेगी. वो मेरी पलकों से झरे फूलों की आवाज है. आज बादलों का दिन था. रात भर बरस के थक चुके बादलों ने पूरे शहर को ढंका हुआ तो है लेकिन वो बरसेंगे नहीं यह उन बादलों की थकान बता रही है. मेरा मन किया उन बादलों को चिढ़ा दूं...बेचारे बादल.

मन आज बादलों से ऊपर है मेरा....सातवें आसमान पर. फूलों ने पुकार लिया हो मुझे जैसे. मैं बेवजह खिंची चली  गयी उस ओर जहाँ से आवाज आ रही थी. फूलों का शहर तो खैर है ही यह मोहब्बत का शहर भी है. फूलों से मोहब्बत ऐसे बरसती रहती है मानो कह रही हो धरती से कि उदास न हो, हम मिलकर संवारेंगे फिर से...

चलती हुए गयी थी गयी उन रास्तों पर और उड़ते हुए लौटी हूँ. असल में उड़ते हुए भी कहाँ लौटी हूँ वहीँ कहीं तितलियों संग उड़ ही रही हूँ अब तक.

मैंने कोई फूल डाली से अलग नहीं किया, किसी फल को इस नजर से नहीं देखा कि वो कितना स्वादिष्ट होगा. मेरे लिए जिन्दगी की आस हैं. मुझे उनके स्वाद से कोई निस्बत नहीं मैं बस फूलों और फलों से लदी डालियों को देखकर छक रही हूँ.

जब मैं पीले फूलों के नीचे से होकर गुजर रही थी गुलाबी फूल मुझे देख रहे थे और मैं सुर्ख फूलों में तुम्हें ढूंढ रही थी. अचानक मुझे महसूस हुआ कि किसी ने मेरे कंधे को छू लिया हो जैसे.

मैंने पलटकर देखा, कोई नहीं था वहां. मैं हंस दी. तुम हमेशा ऐसे ही तो होते हो, अपने न होने में बेइंतिहा होकर. मैंने अपने कंधे पर बैठे बैंगनी फूल को देखा, उसे उतारकर हथेलियों पर रखा, वो हंस दिया, मैं भी. जानती हूँ तुम भी. तुम जो वहां नहीं थे, लेकिन कितने ज्यादा थे वहीं कहीं.

गुलमोहर बहुत खुश थे, मैं उनसे ज्यादा खुश थी. पूरी धरती जैसी किसी मादक खुशबू में डूबी जा रही हो. मैं उस खुशबू में तर-ब-तर लौटी हूँ. मेरी आँखें छलक रही हैं. सुख से. सिर्फ कुदरत ही है जो मुझे इस कदर समझ पाती है, मुझे उदासी से खींचकर ले जाती है, थमा देती है मुस्कुराहटें, रो लेने की आज़ादी देती है और हंसने की वजहें. इश्क शहर मोहब्बत की गमक में डूबा हुआ था. एक पागल सी लड़की अब इस शहर का हिस्सा है, यह शहर अब उसके जीवन का प्यारा किस्सा है.

जब भी मैं तुम्हें याद करती हूँ तुम्हारे शहर में बारिश होती है, मैं जानती हूँ जब तुम मुझे याद करते हो मेरे शहर में फूल खिलते हैं. इसलिए मेरे शहर में फूल ज्यादा खिलते हैं और तुम्हारे शहर में बारिशें ज्यादा होती हैं. हम कुदरत की संतानें हमें ऐसे ही बारिशों में, हवाओं और फूलों की खुशबू के रास्तों से गुजरकर मिलना था...

मेरे कलेजे में हूक उठी और मैंने फूलों से भरी हथेलियों को चूम लिया. वो फूल जिन्हें मैंने शाखों से तोडकर अलग नहीं किया था. जो फूल जमीन चूमने को शाखों से नीचे उतर आये थे उन्हें मैंने हथेलियों में भरा और महसूस किया कि तुमने मेरा हाथ थामा है.

सारे फूल मैंने अपने बालों में टांक लिए हैं. जैसे तुम्हारी निगाहों ने मुझे आज़ाद किया हो समन्दर किनारे दौड़ते जाने को...फूलों की खुशबू में डूबते जाने को.

आज चाय मैं नहीं बनाऊँगी, तुम बनाओ, और चीनी एकदम मत डालना. प्यार की मिठास काफी है. 

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