'जो हमें पसंद हो उसका हमारे जीवन में होना क्यों जरूरी है। यह एक किस्म की लालसा है। इसमें एक तरह के स्वार्थ की बू आती है। जो चीजें हमें पसंद है, हमारे पास हो, घर में हों यह पागलपन है। जो हमें पसंद है वह वहीं रहे जहां वो है तो क्या हमारी पसंद घट जाती है ? शायद ज्यादा बची रहती है । और फिर अगर किसी रोज पसंद बदल जाए तो उस व्यक्ति का या उस सामान का क्या करें जिसे जीवन में या घर में इस कदर भर लिया था कि वो पूरा जीवन ही घेर कर बैठ गया था। अब या तो उस बदली हुई पसंद के साथ रहना होता है या उसके बगैर छूट गए ढेर सारे खाली-पन के साथ।'
via-Bikas Gupta
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