वो मेरा 20वां जन्मदिन था. उन दिनों जन्मदिन पर मिलने वाले तोहफों में पहले नम्बर पर किताबें होती थीं और दूसरे नम्बर पर कैसेट. ये नम्बर आपस में अदला बदला भी करते थे. सबको पता था कि किताबें और संगीत में मेरी जान बसती है. तो बीसवें जन्मदिन पर एक तोहफा मिला म्युज़िक टुडे की चार एल्बम का एक सेट. पंडित शिवकुमार शर्मा का 'वाटर', पंडित हरी प्रसाद चौरसिया का 'रिवर', जाकिर हुसैन का डेजर्ट और वनराज भाटिया का 'अर्थ'. देने वाले को यह पता था कि पानी मेरी कमजोरी है. बारिश की एक बूँद मुझे बावरी बना देती है. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि वो मेरी ज़िन्दगी में एक नयी राह खोल रहा है.
बिलकुल संकोच नहीं यह कहने में कि फिलिप्स के उस टेप रिकॉर्डर में जिन कैसेट्स की रील सबसे ज्यादा घिसीं, फंसी उनमें से एक थी पंडित शिव कुमार शर्मा के 'वाटर' और हरि प्रसाद चौरसिया के 'रिवर' की. जीवन में पानी की आवाजों ने जगह इस कदर बना ली कि भीतर की नदी खूब खिलखिलाने लगी. उसने भीतर के जंगल को भी खूब हरा रखा. मैं जो थोड़ी सी जंगली, थोड़ी सी नदी सी बची रह गयी हूँ उनमें 20 वें जन्मदिन में मिले तोहफे में शिव कुमार शर्मा और हरि प्रसाद चौरसिया का बड़ा योगदान है.
चौरसिया जी से तो खैर एक दो मुलाकातें भी हासिल हुईं लेकिन शिव कुमार जी से मुलाकात संभव न हो सकी. लेकिन सच कहूँ जिस कदर उनका 'वाटर', 'माउन्टेन', 'वाकिंग इन द रेन' साथ रहता है ऐसा कभी लगा ही नहीं कि उनसे मिली नहीं हूँ. वैसे ज़ाकिर हुसैन साहब का डेजर्ट भी कमाल है. लेकिन आज बात शर्मा जी की.
वाटर सुनने के बाद यूँ हुआ कि संगीत की किताब का पहला पन्ना खुल गया हो जैसे. इसके बाद उन्हें ढूँढकर सुना, खूब सुना. मन खुश हुआ तब सुना, परेशान हुआ तब सुना. दोस्तों की महफिल में सुना, तन्हाई में सुना. पानी की आवाज़ का दूसरा नाम हैं शिव कुमार शर्मा जी.
शायद यही वजह रही कि शिव हरि की जोड़ी ने जितना संगीत रचा फिल्मों में भी वो मेरा फेवरेट हुआ. जिसमें सबसे पहले याद आता है 'सिलसिला', 'चांदनी' और 'लम्हे' का संगीत.
आज जब उनके जाने की ख़बरें नज़रों से गुजर रही हैं जाने क्यों एक नायकीनी सी बनी हुई है. मेरे लिए वो हमेशा से हैं और रहेंगे. वो जा नहीं सकते. सुबह से पानी की आवाज़ कान में पहने घूम रही हूँ. उनका होना हमेशा बना रहेगा. जीवन को सबसे मुश्किल दिनों में भी नमी को बचाए रखेगा.
5 comments:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 12 मई 2022 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार 12 मई 2022 को 'जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में ' (चर्चा अंक 4428 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
विनम्र श्रद्धांजलि ! सुंदर संस्मरण
हृदय स्पर्शी आलेख ! या यादें कह सकते हैं या फिर समेटी हुई संवेदनाओं का अहसास।
अप्रतिम।
सुंदर संस्मरण
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