Sunday, January 2, 2022

शगुन की धूप


नए साल की पहली रात थी. जाने कितनी एंग्जायटी में बीती. धुक धुक धुक करता रहा कलेजा. किस बात पर पता नहीं. जब बहुत प्रेम मिलता है तब भी ऐसी ही धुकधुकी होती है, जब तिनका भर सुख मिलता है तब भी आँखें छलक पड़ती हैं और धुकधुकी शुरू हो जाती है. कभी समझ नहीं पायी कि सुख के साथ उदासी की रेख क्यों चलती है. क्यों अचानक कहीं छुप जाने का मन करता है. छुपकर रोने का मन करता है.
इंदौर और भोपाल की यात्राओं में मिला प्रेम घर में जीवन में इस कदर बिखरा पड़ा है कि लगता है वहीं रह गयी हूँ, जो वापस आया है ये तो कोई और है. क्या सचमुच यह प्रेम मेरे ही हिस्से का है जो मुझे मिला, मिल रहा है. सचमुच? फिर वही धुकधुकी.
मैं तो जीवन की तलहटी में पड़ा एक कंकर भर हूँ मुझ तक जिनकी नज़र जा पा रही है, जो मुझे प्रेम कर रहे हैं विशेष तो वो लोग हैं. और देखो फिर से आँखें छलक पड़ी हैं.
कल मध्य प्रदेश दूरदर्शन पर प्रसारित बातचीत को सुनने के बाद एक दोस्त ने कहा, 'तुम कितने संकोच में रहती हो, कैमरे से नज़र नहीं मिलाती?' मैं चुप रही, सोचती रही हाँ, संकोच तो रहता ही है हमेशा. कैसे नज़र मिलाऊं. दूर से देखती हूँ खुद को तो वो कोई और ही नज़र आती है और मैं किसी कोने में छुपी हुई चुपके से उसे देखती हूँ. माँ कहती हैं, 'संकोच स्वाभाविक है. और जो स्वाभाविक है उसे वैसा ही रहने देना, बदलने की कोशिश मत करना.' मैं माँ को हमेशा ध्यान से सुनती हूँ. वो जीवन के बारे में कितना जानती हैं.
माँ से जब मैंने आज सुबह बताया कि माँ रात अच्छी नींद नहीं आई, धुकधुक होती रही. तो माँ ने मुस्कुराकर सर पर हाथ फेर दिया और कहा, 'कुछ अच्छा होगा. यह शगुन है.' उनके यह कहते ही धूप का एक टुकड़ा मेरे सर पर आ गिरा.
मैं निसंकोच सिर्फ प्रकृति के सम्मुख होती हूँ, धूप के टुकड़े को हथेलियों में उतार लेती हूँ उसे कहती हूँ...तुम हो तो सब शगुन ही है.

1 comment:

Ravindra Singh Yadav said...

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-01-2022 ) को 'नेह-नीर से सिंचित कर लो,आयेगी बहार गुलशन में' (चर्चा अंक 4298) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव