Friday, October 27, 2023

आसमानी बातें थीं उसकी...


लड़की ने स्याही में उंगली डुबोई और लड़के की पीठ पर रख दी। शफ़्फाक सुफेद शर्ट पर नीला आसमान उग आया था। लड़का उस नीले गोले को देख नहीं पाया था। उसने बस लड़की की उंगली की आंच को महसूस किया था। और शरारत के बाद की उस खिलखिलाहट के सैलाब में तिर गया था जो पीठ पर उंगली रखने के बाद लड़की के पूरे वजूद से झर रहा था।

पीठ पर उभरे उस स्याही के गोले का रंग लड़के की हथेलियों पर नीली लकीर बनकर उभरा जब प्रार्थना के वक़्त ड्रेस मॉनिटर ने उसे लाइन से बाहर निकाला और मास्टर जी ने हथेलियाँ आगे करने को कहा। लड़के के हाथ पर उभरी नीली लकीरें लड़की की आँख का नीला दरिया बनकर छलक पड़ी थीं। उसने कब सोचा था कि उसकी जरा सी शरारत का यह असर होगा।

लड़का अपनी हथेलियों पर आए दर्द को भूल गया था लेकिन उसे अपनी पीठ पर रखी लड़की की उंगली की आंच सुलगाये हुए थी। छुट्टी हुई। लड़की की बड़ी-बड़ी आँखों से दरिया बह निकला। लड़के की हथेलियाँ अपनी हथेलियों में लिए लड़की देर तक खामोश खड़ी रही।

लड़के ने लड़की की आँखों के दरिया से धरती को सींचा और लड़की की खिलखिलाहट के बीज बो दिये। मुद्दत हुई इस बात को। धरती के किसी भी कोने पर नीले अमलतास खिले देखो तो समझना वो लड़की की खिलखिलाहट खिली हुई है।

लड़के की पीठ पर अब भी आसमान टंका हुआ है। लड़की की आँखों में अब भी एक दरिया छलकता है। अक्टूबर का मौसम उन दोनों के प्रेम पत्र अपनी टहनियों पर समेटे बैठा है।

3 comments:

हरीश कुमार said...

सुन्दर

जिज्ञासा सिंह said...

वाह! सुंदर भाव संप्रेषण।
अच्छी रचना।

Onkar said...

वाह! सुंदर अभिव्यक्ति।