Saturday, October 21, 2023

अक्टूबर महक रहा है


हथेलियों पर
रखे हरसिंगार के नीचे
धीमे से
बिना कोई हलचल किए
उग रही हैं नयी लकीरें

धूप की नर्म कलियाँ
खिलखिलाकर झर रही हैं
काँधों पर
अक्टूबर महक रहा है।

1 comment:

Onkar said...

बहुत सुंदर रचना