मौसम गुलाबी था उन दिनों
जब तेरी याद के गुलाब खिलते थे
सर्दियों की आहट में
जब तेरी याद के गुलाब खिलते थे
सर्दियों की आहट में
घुला होता था रंग
सदियों पुराने तेरे इंतज़ार का
सदियों पुराने तेरे इंतज़ार का
अब तू नहीं, तेरा इंतजार भी नहीं
अब नहीं खिलते तेरे इंतज़ार के गुलाब
बस एक कतरा गुलाबी मौसम
लिपटकर बैठा है.
लिपटकर बैठा है.
10 comments:
सादर नमस्कार ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(21-11-21) को "प्रगति और प्रकृति का संघर्ष " (चर्चा - 4255) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
--
कामिनी सिन्हा
सुंदर सराहनीय रचना ।
वाह! कोमल शब्दों से सजी बहुत ही प्यारी बहुत सुंदर रचना
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 22 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
एहसासों में लिपटा सुंदर सृजन।
बहुत ही भावपूर्ण एहसास से सजी सुन्दर रचना।
लाजवाब सृजन।
सुंदर सृजन
बहुत ही सुंदर सृजन।
सादर
बहुत बहुत ही सुंदर सराहनीय सृजन। Om Namah Shivay Images
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