प्यार के आँगन में गिरा था जो पहला ख़त
वो तुम्हारा था
वो तुम्हारा था
ज़ेहन के दरीचों में ज़ज्ब हुई थी जो आवाज
वो तुम्हारी थी
वो तुम्हारी थी
सिरहाने झरती थीं जो शबनमी रातें
वो सौगात तुम्हारी थी
वो सौगात तुम्हारी थी
चाँद से दिल लगाना
हवाओं को पहनना कानों में
बांधना ख्वाबों की पाजेब,
उड़ते फिरना आसमान के आखिरी छोर तक
सब सिखाया तुमने
हवाओं को पहनना कानों में
बांधना ख्वाबों की पाजेब,
उड़ते फिरना आसमान के आखिरी छोर तक
सब सिखाया तुमने
गुलज़ार कहते हैं लोग तुमको
कि तुमसे ही होती है गुलज़ार जिंदगियां
जन्मदिन मुबारक हो गुलज़ार साब!
कि तुमसे ही होती है गुलज़ार जिंदगियां
जन्मदिन मुबारक हो गुलज़ार साब!
7 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. हिंदी ब्लॉग समूह के शुभारंभ पर आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा {सोमवार} (19-08-2013) को
हिंदी ब्लॉग समूह
पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी {सोमवार} (19-08-2013) को पधारें, सादर .... Darshan jangra
हिंदी ब्लॉग समूह
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [19.08.2013]
चर्चामंच 1342 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
बड़ी प्यारी सी नज़्म है...सच है, एक पूरी पीढ़ी ने कुछ अहसासों को गुलज़ार की नज्मों में डूबकर ही पहचाना है .
@उड़ते फिरना आसमान के आखिरी छोर तक
सब सिखाया तुमने
गुलज़ार कहते हैं लोग तुमको
बेहतरीन नज़्म...
वाक़ई गुलजार साहेब ने एक पूरा का पूरा युग ही गुलज़ार कर दिया.
वाह बहुत खूब
गुलज़ार अपने आप में एक अलग दुनिया हैं... :)
जन्मदिन की शुभकामनायें..
Post a Comment