नींद की गोद में जहाँ चुप है
दूर वादी में दूधिया बादल,
झुक के परबत को प्यार करते हैं
दिल में नाकाम हसरतें लेकर,
हम तेरा इंतज़ार करते हैं
इन बहारों के साए में आ जा,
फिर मोहब्बत जवाँ रहे न रहे
ज़िन्दगी तेरे ना-मुरादों पर,
कल तलक मेहरबाँ रहे न रहे
रोज़ की तरह आज भी तारे,
सुबह की गर्द में न खो जाएँ
आ तेरे गम़ में जागती आँखें,
आ तेरे गम़ में जागती आँखें,
कम से कम एक रात सो जाएँ
चाँद मद्धम है आस्माँ चुप है
नींद की गोद में जहाँ चुप है...
चाँद मद्धम है आस्माँ चुप है
नींद की गोद में जहाँ चुप है...
- साहिर लुधियानवी
8 comments:
बहुत ही सुंदर।
शान्ति और प्रेम जनती पंक्तियाँ।
साहिर का कलाम...उफ्फ्फ...तौबा...
नीरज
यहाँ जाने का कष्ट ज़रूर करें ...... अगर इस जादू दो दूना करना हो .....................
http://kisseykahen.blogspot.com/2009/08/blog-post.html
मेरे महबूब शायर का कलाम है।
आभार
वाह! बहुत शानदार…मीत साहब ने भी मज़ा दुगना कर दिया…दोनों का आभार
एक उम्दा प्रस्तुति।
........खूबसूरत और भावमयी
कितनी - कितनी यादे जुड़ी हई इन पंक्तियों के साथ!
शुक्रिया!!
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