Sunday, June 21, 2009

संगीत का दिन और दिल का साज



आज विश्व संगीत दिवस है. मुझे नहीं पता कि ऐसे दिनों का क्या महत्व होता है लेकिन इतना $जरूर है कि मेरे लिए हर दिन संगीत का दिन, कविता का दिन हो यही चाहती हूं. कविता जिसमें  जिन्दगी  के सारे रंग हों, संगीत जिसमें जिं़दगी के सारे आरोह-अवरोह, मींड़, गम$क, मुर्की, आलाप सब शामिल हों. न जाने कितने सुर अपने-अपने सधने के इंत$जार में बेकल होकर इधर से उधर घूम रहे हैं. कई बार तो ये हमारे बेहद करीब से हमें छूते हुए निकल जाते हैं. कोई मुंह देखता है तो कोई, सिरहाने बैठ ही जाता है चुपचाप . ये सुर भी चाहते हैं कि कोई आए और थाम ही ले उन्हें. लेकिन यह सबके बूते की बात नहीं. बहुत रिया$ज चाहिए. कड़ी साधना. देह के इस साज में सांसों का सुर साधना भी रिया$ज ही तो है. आइये हम सब साधते हैं अपनी-अपनी जिं़दगी के तमाम बिखरे हुए, टूटे हुए सुर कि िजंदगी मुस्कुरा ही उठे. आमीन!

4 comments:

M Verma said...

विश्व संगीत दिवस की हार्दिक शुभकामना. सुरो को तो मुस्कराना ही होगा साज उठाने की देर है. आमीन

के सी said...

इस पोस्ट पर लिखा जाने वाला कमेन्ट कुछ आपके ब्लॉग की टैग लाइन जैसा ही हो सकता है.

geetashree said...

वाह,,,आपकी चाहना में मैं अपनी चाहत जोड़ रही हूं..जल्दी वो दिन आए,,कविता दिवस.कल्पना करके रोमांच हो रहा है.कैसा होगा वह दिन..जब दुख आदा और सुख दूना हो जाएगा...आमीन.

Udan Tashtari said...

नई जानकारी है कि आज विश्व संगीत दिवस है.

तो विश्व संगीत दिवस पर आपको बधाई एवं शुभकामनाऐं.