कुछ लड़कियां अच्छे ओहदों पर पहुँच रही हैं
कुछ लड़कियां अपने हकों के लिए लड़ रही हैं
कुछ लड़कियां कवितायें लिख रही हैं
कुछ लड़कियां डरती नहीं किसी से
कुछ लड़कियां पार्टी कर रही हैं
कुछ लड़कियां खुलकर हंस रही हैं
कुछ लड़कियां प्यार में हैं
कुछ लड़कियों को देख लगता है
अब लड़कियों की दुनिया बदल चुकी है
उनकी दुनिया का अंधेरा मिट चुका है
लेकिन अभी भी बहुत सारी लड़कियां
पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहीं
जूझ रही हैं अपनी पसंद के विषय की पढ़ाई के लिए,
आगे की पढ़ाई के लिए
बहुत सारी लड़कियां
अपनी पसंद के रिश्तों के सपने से भी बाहर हैं
बहुत सारी लड़कियां पूरी पढ़ाई करके भी
जी रही हैं अधूरी ज़िंदगी ही
बहुत सारी लड़कियां पैसे कमा रही हैं
लेकिन नहीं कमा पा रही हैं अपने हिस्से के सुख
अब लड़कियों की दुनिया बदल चुकी है
उनकी दुनिया का अंधेरा मिट चुका है
लेकिन अभी भी बहुत सारी लड़कियां
पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहीं
जूझ रही हैं अपनी पसंद के विषय की पढ़ाई के लिए,
आगे की पढ़ाई के लिए
बहुत सारी लड़कियां
अपनी पसंद के रिश्तों के सपने से भी बाहर हैं
बहुत सारी लड़कियां पूरी पढ़ाई करके भी
जी रही हैं अधूरी ज़िंदगी ही
बहुत सारी लड़कियां पैसे कमा रही हैं
लेकिन नहीं कमा पा रही हैं अपने हिस्से के सुख
बहुत सारी लड़कियां उलझी हुई हैं
साज-शृंगार में, तीज त्योहार में
बहुत सारी लड़कियां
एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी की जा रही हैं
बहुत सारी लड़कियां अन्याय को सह जाने को अभिशप्त हैं
कुछ लड़कियों और बहुत सी लड़कियों के बीच एक लंबी दूरी है
कुछ लड़कियों के बारे में सोचना सुख से भरता है
लेकिन हक़ीक़त की धूप हथेली पर रखे इस जरा से सुख को
पिघला देती है
कुछ लड़कियों के चेहरे बहुत सारी लड़कियों जैसे लगने लगते हैं
‘अब सब ठीक होने लगा है’ का भ्रम टूटने लगता है
कि ज्यादा नुकीले हो गए हैं
स्त्रियों की हिम्मत को तोड़ने वाले हथियार
ज्यादा शातिर हो गयी हैं
उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की साजिशें
झूठ की पालिश से खूब चमकाए जा रहे हैं मुहावरे
कि अब सब ठीक ठाक है...
जबकि असुरक्षा के घेरे से बाहर न ये कुछ लड़कियां हैं
न बहुत सारी लड़कियां।
साज-शृंगार में, तीज त्योहार में
बहुत सारी लड़कियां
एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी की जा रही हैं
बहुत सारी लड़कियां अन्याय को सह जाने को अभिशप्त हैं
कुछ लड़कियों और बहुत सी लड़कियों के बीच एक लंबी दूरी है
कुछ लड़कियों के बारे में सोचना सुख से भरता है
लेकिन हक़ीक़त की धूप हथेली पर रखे इस जरा से सुख को
पिघला देती है
कुछ लड़कियों के चेहरे बहुत सारी लड़कियों जैसे लगने लगते हैं
‘अब सब ठीक होने लगा है’ का भ्रम टूटने लगता है
कि ज्यादा नुकीले हो गए हैं
स्त्रियों की हिम्मत को तोड़ने वाले हथियार
ज्यादा शातिर हो गयी हैं
उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की साजिशें
झूठ की पालिश से खूब चमकाए जा रहे हैं मुहावरे
कि अब सब ठीक ठाक है...
जबकि असुरक्षा के घेरे से बाहर न ये कुछ लड़कियां हैं
न बहुत सारी लड़कियां।
1 comment:
बहुत सुंदर
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