Saturday, November 9, 2024

मेयअड़गन यानि सत्य की सुंदरता


जैसे जी भर के रो चुकी लड़की के कांधे पर गिरा हो हरसिंगार का एक फूल एकदम बेआवाज़, महक से सराबोर। जैसे खाली पड़े कैनवास पर किसी बच्चे ने रंग उड़ेल दिये हों और कैनवास भर उठा हो उम्मीद की ख़ुशबू से। जैसे तेज़ धूप में नंगे पाँव चलते पैरों से कोई नदी लिपट गयी हो। जैसे निराश मन ने जलाया हो आस्था का एक दिया और ज़िंदगी में उजास फूट पड़ा हो...

मेयअड़गन...(शायद ऐसे ही लिखते होंगे) देखना खुद की हथेलियों में अपना चेहरा रखकर जी भर के रो लेना है। जीवन कितना सादा है, कितना सहज, कितना खूबसूरत। और हम न जाने किन चीजों में उलझे हैं। बाद मुद्दत किसी फिल्म को देखते हुए खूब रोई हूँ, बार-बार रोएँ खड़े हुए हैं। अरविंद तो लाजवाब हैं ही, कार्थी भी कमाल के हैं। फिल्म का विषय, उसका ट्रीटमेंट सबकुछ जैसे स्क्रीन पर लिखी गयी प्रेम कविता हो।
 
छोटी से छोटी चीजों की ऐसी प्यारी डिटेलिंग है कि आसपास पड़ी ज़िंदगी जो हमसे छूटी ही रह जाती है, उसे उठाकर गले लगाने का जी कर उठता है। अगर कोई आप पर भरोसा करता है, निस्वार्थ प्यार करता है, आप बदलने लगते हैं। मैं इस फिल्म के प्यार में हूँ, फिर फिर देखूँगी, सबको देखनी चाहिए। चुप रहकर देखनी चाहिए।
मेयअड़गन तमिल फिल्म है जिसका हिन्दी में अर्थ होता है 'सत्य की सुंदरता'।

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