उजले दिन की हथेली पर
झरती है श्यामल रातरात के आँचल में
झरती है
सुफेद फूलों की ख़ुशबू
पलकों पर
हौले से झरती है नींद
नींद में झरता है
कोमल सा एक सपना
सपने में झरती है स्मृति
स्मृति के चेहरे पर झरती है
मीठी मुस्कान
खोलती हूँ पलकें
तो माथे पर झरती हैं
सूरज की किरनें
सूरज की किरनों से
झरती है उम्मीद
सारी धरती पर झरता है प्यार…
1 comment:
सुंदोर !
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