Sunday, March 14, 2021

उसके सपने में मेरा होना


मैं जब अपने सपने में नहीं थी
तब उसके सपने में महक रहा था मेरा होना
वो अपने सपने में सहेज रहा था
इस बड़ी सी दुनिया में मेरा एक छोटा सा कोना

मैं नींद में जब गहरे धंसी हुई थी
बारिश में तर-ब-तर हो रहा था मेरा कोना
खिलखिलाते हुए लाल फूल झाँक रहे थे खिड़की से 
मुस्कुरा रही थीं किताबें कॉफ़ी की खुशबू की संगत में
समन्दर की लहरों को छूकर आया था हवा का एक झोंका 
सहला रहा था मेरे गाल

वो मेरे चेहरे पर मुस्कुराहटें बो रहा था पूरी लगन से
और मैं नींद में धंसे हुए मुस्कुरा रही थी

मेरे सिरहाने बारिशें, हवा के झोंके, समन्दर की लहरें
चिड़िया की चहक, प्रेमिल साथ
कुल मिलाकर एक सुंदर दुनिया का सपना रखकर
वो चाय बना रहा था
और मैं इन तमाम सौगातों को समेटे
डूबने लगी थी प्रेम की नदी में...

मेरे होंठ बुदबुदा रहे थे उम्मीद
वो गुनगुना रहा था प्रेम.

मैं जब नींद में थी तब मैं उसके सपने में थी. 

(देवयानी के सुपुत्र अनि के लिए)

12 comments:

Onkar said...

बहुत सुन्दर

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 15 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Sweta sinha said...

आहा..कितना खूबसूरत, कोमल एहसास है,प्रेम की खुशबू से छलछलाती बूँदे मनभावनी लगी।
बेहद सुंदर रचना।
सादर प्रणाम।

Kamini Sinha said...

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-3-21) को "धर्म क्या है मेरी दृष्टि में "(चर्चा अंक-4007) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर रचना।

Anuradha chauhan said...

बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन।

Sawai Singh Rajpurohit said...

मैं जब अपने सपने में नहीं थी
तब उसके सपने में महक रहा था मेरा होना
वो अपने सपने में सहेज रहा था
इस बड़ी सी दुनिया में मेरा एक छोटा सा कोना

बहुत सुंदर भाव

Anita said...

मनोहारी रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सब सहेज लिया न ? उसके सपने में होना महत्त्वपूर्ण है ।
सुंदर रचना

मन की वीणा said...

सुंदर !अति मधुर एहसास पिरोती सरस छलकती धार जैसी, खूबसूरत रचना।

robuxquiz said...
This comment has been removed by the author.
caseearna said...

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