Saturday, February 27, 2021

मारीना- ऐसे भी कोई जाता है क्या

हफीज़ किदवई युवा रचनाकार, संन्कृतिकर्मी और जन पैरोकार हैं. वो हमेशा मुद्दों के भीतर से मानवीय पक्ष खोज कर लाते हैं, उनकी हिमायत करते हैं. हफीज़ की कलम में एक ख़ुशबू है, एक रौशनी है. वो अल्फाजों के सहारे दुनिया को रोशन करना चाहते हैं और महकाना चाहते हैं. उनकी खासियत यह है कि वो सिर्फ कलमकार नहीं हैं सड़कों पर उतरकर, लोगों के घरों तक पहुंचकर उधड़े हुए समय और समाज को रफू करने के प्रयास वो निरन्तर करते हैं. मारीना पर उनकी यह टिप्पणी जो सोशल मीडिया पर है उसे प्रतिभा की दुनिया में सहेज रही हूँ- प्रतिभा  

अरे ऐसे भी कोई जीता है, अरे यार ऐसे भी कोई मर सकता है, यही तो निकला था मुँह से मारीना को पहली बार पढ़ते हुए । इस किताब को आपको ज़रूर पढ़ना चाहिए । यह किताब दो कवयित्रीयों के बीच बातचीत का अनूठा काम है । एक बहुत पहले अपनी कविता कह गए,एक आज अपनी कविता अपने दिल में सँजोए हुए हैं । एक को हमने नही देखा,मगर जिसको हमने देखा,उसने उसे हमे दिखा दिया,जिसे हमने नही देखा था । यह किताब अद्भुत है ।

एक तरफ रूस की महान कवियत्री मारीना त्स्वेतायेवा हैं, जिनकी यह जीवनी है, दूसरी तरफ हैं हमारे लखनऊ की कवियत्री प्रतिभा कटियार,जिन्होंने इसे सलीके से हिंदी में गढ़ा है । यह किताब ऐसे लगता है कि मारीना ख़ुद प्रतिभा से कहकर लिखवा रही हों । कोई लेखक कैसे किसी दूसरे लेखक के दिल की धड़कन,चेहरे की शिकन और शरीर की थकन के बीच प्रेम की ताज़गी को ढूंढ सकता है । यह तो तब तक सम्भव नही है, जब तक लिखने वाले शरीर में लिखे जाने वाले कि आत्मा न उतर आए,यह अद्भत घटना प्रतिभा कटियार की कलम में घटित हुई है ।
मैंने बहुत धैर्य से उस किताब को पढ़ा, यह महीने भर से थी मेरे पास,मैं उसे रोज़ पढ़ना चाहता था । चाहता था कि किताब खत्म न हों,क्योंकि मारीना का अंत पता था,और चाहता था कि किताब लम्बी होती चली जाए,यही प्रतिभा जी ने भी किया होगा । वह भी किताब खत्म नही करना चाहती होंगी,वह भी अभी भी मारीना के साथ रहना चाहती होंगी,मगर यह नही हो सका,क्योंकि हमारी सीमाएं निर्धारित हैं।

फिल्मों में,वीडियोज़ में बहुत बार भावुक पल आने पर तो आंसू आते हैं मगर किताब पढ़ने पर इनका निकलना बहुत ही अलग बात है और मारीना पढ़ने पर कई दफा आँसू आए । कई दफा मन भारी हुआ,यह कहिए कि यह किताब पढ़ी जितनी जाएगी,उससे कहीं ज़्यादा ही जी भी जाएगी ।

हम किताब के कंटेंट में नही जाएँगे, यह आप खरीदकर पढ़िए,अमेज़न या किसी बुक शॉप से लीजिये । हम तो इस किताब को सिर्फ इसके एक बुकमार्क के लिए खरीद सकते थे,जो फ़ोटो में मौजूद हैं । ऐसे बहुत से बुकमार्क किताब में हैं, यह एक बेहतरीन परम्परा लेखिका ने डाली है, जिसे हम सबको बढ़ाना भी है ।

मारीना की जीवनी लिखकर प्रतिभा जी ने ऐतिहासिक काम कर डाला । उन्हें खुद नही पता होगा कि मारीना से जो वह बात कर रही थीं,वह पल ऐतिहासिक थे,वह वक़्त आने वाली नस्लों को कुछ बीज देने जैसा था । जब कभी मारीना का नाम फलक पर चमकेगा और उनका लिखा हमारी दहलीज़ पर पहुँचेगा, तब पीछे पीछे प्रतिभा भी पहुँचेंगी, क्योंकि ऊँचाई में छिपे इस सितारे की चमक हम सबके सामने उन्होंने ही बिखेरी है । यह किताब अद्भुत है, बहुत बहुत धन्यवाद प्रतिभा मैम इसे लिखने के लिए,इसे सोचने केलिए,हमे पता है इसका लिखना कितनी वेदना समेटे था ।

एक आखरी बात प्रतिभा जी के लिए ,मारीना की जीवनी का चुनाव इस ज़मीन पर केवल आप ही कर सकती थीं,क्योंकि उसकी ज़िन्दगी के पड़ाव,बदलाव और माथे की शिकन के बीच अल्फ़ाज़ बुनती उँगलियों को केवल आपका संवेदनशील हृदय देख सकता था । यह किताब हमारी पीढ़ी के लिए आपका उपहार है, बहुत बहुत धन्यवाद....

किताब मंगवाने का लिंक- https://www.amazon.in/-/hi/Pratibha-Katiyar/dp/8194436206/ref=sr_1_1?dchild=1&keywords=pratibha+katiyar&qid=1614405248&sr=8-1

2 comments:

ANHAD NAAD said...

बड़ी शीरी जुबान है इनकी । और नज़रिया मानीखेज ।

Onkar said...

सुन्दर समीक्षा