Tuesday, October 27, 2015

वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसमें न मौका सिसकी का



वो काम भला क्या काम हुआ जिसका बोझा सर पे हो
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसका चर्चा घर पे हो

वो काम भला क्या काम हुआ जिसमे साला दिल रो जाये
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जो आसानी से हो जाये

वो काम भला क्या काम हुआ जो मजा नहीं दे विह्स्की का
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसमें न मौका सिसकी का

वो काम भला क्या काम हुआ जिसकी न शक्ल इबादत हो
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसकी दरकार इज़ाज़त हो

वो काम भला क्या काम हुआ जो कड़वी घूँट सरीखा हो
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसमे सब कुछ मीठा हो

- पियूष मिश्र


6 comments:

Unknown said...

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Unknown said...

बहुत अच्छी रचना।

Unknown said...

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

Abra ka dabra said...

Celebscurry

Unknown said...

Nice lines 😀😀😀👌👌👌

Unknown said...

बहुत ही शानदार रचना है