वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसका चर्चा घर पे हो
वो काम भला क्या काम हुआ जिसमे साला दिल रो जाये
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जो आसानी से हो जाये
वो काम भला क्या काम हुआ जो मजा नहीं दे विह्स्की का
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसमें न मौका सिसकी का
वो काम भला क्या काम हुआ जिसकी न शक्ल इबादत हो
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसकी दरकार इज़ाज़त हो
वो काम भला क्या काम हुआ जो कड़वी घूँट सरीखा हो
वो इश्क़ भला क्या इश्क़ हुआ जिसमे सब कुछ मीठा हो
- पियूष मिश्र
6 comments:
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बहुत अच्छी रचना।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Celebscurry
Nice lines 😀😀😀👌👌👌
बहुत ही शानदार रचना है
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