सब्र हर बार अख़्ितयार किया
हम से होता नहीं, ह$जार किया
आदतन तुम ने कर दिये वादे
आदतन हमने ऐतबार किया
हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक के
अपना ही इंत$जार किया
फिर न मांगेंगे जिंदगी या रब
ये गुनाह हमने एक बार किया।
- गुलज़ार
हम से होता नहीं, ह$जार किया
आदतन तुम ने कर दिये वादे
आदतन हमने ऐतबार किया
हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक के
अपना ही इंत$जार किया
फिर न मांगेंगे जिंदगी या रब
ये गुनाह हमने एक बार किया।
- गुलज़ार
11 comments:
फिर न मांगेगें जिंदगी या रब
ये गुनाह हमने एक बार किया । अति सुन्दर । धन्यबाद !
गुलज़ार साहेब को जितनी बार पढिये कम है...शुक्रिया आपका.
नीरज
gulajar sahab ki her ek rachana mere aatma se hokar gujar jati hai .....bahut badhiya.......sundar
gulajar sahab ki her ek rachana mere aatma se hokar gujar jati hai .....bahut badhiya.......sundar
निहायत मासूम रचना
----------
1. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
2. चाँद, बादल और शाम
3. तकनीक दृष्टा
आभार गुलज़ार साह्ब को पढ़वाने का.
आह ज़िन्दगी ...
"फिर न मांगेंगे जिंदगी या रब
ये गुनाह हमने एक बार किया।"
गुलज़ार साहब कीइस खूबसूरत गज़ल को
प्रकाशित करने के लिए,
बधाई।
bahut hi khoobsurat rachna....
gajab........
Post a Comment