
जब आसमान झील में औंधा पड़ा था
और जुगनू हमारे साथ
झील में पड़े सितारों से बतिया रहे थे
हवाओं में एक खुनक थी
और तुमने मेरी देह पर
ख़ामोशी की चादर लपेट थी
तुम्हारी आँखों से सारा अनकहा
मनोकामिनी की ख़ुशबू सा झर उठा था
झील की सतह पर हवाएँ नृत्य कर रही थीं
जैसे नृत्य करती है स्त्री की अभिलाषा
हमने साँसों के सम पर मुस्कुराहटें पिरो दीं थीं
सितारों भरा आसमान
आसमान काँधों से आ लगा था
कोई तारा टूटने नहीं दिया तुमने उस रोज
कि हर ख़्वाब को आहिस्ता से सहेज लिया
कि हर ख़्वाब को आहिस्ता से सहेज लिया
इन जिये हुए लम्हों ने दुनिया संभालने की ताक़त दी है
इन उम्मीद भरे लम्हों ने मज़लूमों का साथ देने
और मगरूर शासक से आँख मिलाने की हिम्मत दी है
हाँ, प्रेम जरूरी है दुनिया को सुंदर बनाने के लिए
इंसानियत में आस्था बनाए रखने के लिए।
3 comments:
सुंदर रचना
सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत खूबसूरत रचना
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