तुम्हारा पास होना
जैसे धरती पर छनक उठना
ख्वाहिशों की पाजेब
रुनझुन रुनझुन रुनझुन रुनझुन
जिसकी धुन में गुम हों
हम तुम तुम हम
जैसे खिलना हजारों पीले गुलाब धरती पर
और वादी में उतरना एक खूबसूरत धुन
जैसे तपती दोपहर को मिलना
बारिश की फुहार
बेचैन मन को मिलना चैन
जैसे सदियों से जागी आँखों को मिलना
भर मुठ्ठी नींद
हरसिंगार के पेड़ का भर जाना फूलों से
अप्रैल के महीने में
जैसे बुलबुलों की उड़ान में शामिल होना शरारत
जैसे रास्तों में भटक जाना और
भटकते हुए खो जाना
अनजाने सुख के घने जंगल में
जैसे बंद आँखों से बरसना सुख की बदलियाँ
जैसे चखना स्वाद पहली बार
'अच्छा लगना' का.
No comments:
Post a Comment