Wednesday, March 16, 2022

प्रेम के प्रेम में होना


इस तस्वीर को देखती हूँ तो भीतर कुछ भरावन सी महसूस होती है. सघन प्रेम का स्वाद है इस तस्वीर में. जैसे जिए जा रहे एक लम्हे में डूबे हुए दो लोगों की कोमल छवि को सहेज लिया हो किसी ने. इतने सुभीते से कि जिए जा रहे लम्हे को ख़बर भी न हो.

इस तस्वीर में तीन प्रिय लेखक हैं. एक हैं मेरे प्रिय लेखक मानव, दूसरे हैं मेरे प्रिय लेखक विनोद कुमार शुक्ल और तीसरे जो कि असल में पहले हैं मानव के प्रिय लेखक. पाठक इस तरह अपने लेखक के साथ खुद को जोड़ता चलता है जहाँ एक त्रयी बनती है, अपनेपन की एक धुन बनती है.

मानव को उनकी पहली पुस्तक के प्रकाशन के बहुत पहले से पढ़ रही हूँ. वो मुझे बहुत अपने से लगते हैं. उनके लिखे में एक ख़ास बात है वो यह कि ज़िन्दगी की तमाम उलझनों के बीच जब-जब पढ़ने-लिखने की खिड़की बंद हुई, कुछ भी लिखना पढ़ना स्थगित हुआ, सोचना समझना मुश्किल हुआ तब भी मानव को पढ़ने की राह खुली ही मिलती थी. उनकी ब्लॉग पोस्ट्स को कई-कई बार पढ़ा है. उनके नाटकों को पढ़ा है, नाटकों को देखा है, कविताओं से बातें की हैं. ऐसे ही शायद मानव ने विनोद कुमार शुक्ल को पढ़ा होगा. शायद नहीं यकीनन. इससे ज्यादा ही शायद.

आत्मीयता की ऐसी गढ़न, ऐसी खुशबू बेहद स्वाभाविक होती है. इसे चाहकर रचा नहीं जा सकता. जैसे किसी को चाहकर प्रेम नहीं किया जा सकता. वो तो बस हो जाता है. यह उसी हो गये प्रेम की तस्वीर है. इस तस्वीर में उस पाठक के सुख की बाबत लिखा नहीं जा सकता जो इन दोनों के प्रेम में हो.

ऐसा ही अनुभव मुझे मारीना और रिल्के की बाबत हुआ था. मेरी प्रिय लेखिका मारीना और मेरे प्रिय लेखक रिल्के. जब मुझे मारीना और रिल्के के पत्र पहली बार पढ़ने को मिले थे मैं ख़ुशी से झूम उठी थी. नाचती फिरती थी. जैसे कोई खजाना मिल गया हो. मुझे याद है मारीना किताब पर काम का सबसे पहला हिस्सा उन्हीं पत्रों से शुरू हुआ था. यह अजब सी ख़ुशी होती है. इस ख़ुशी में एक गढ़न होती है, एक खुशबू होती है, कोई संगीत होता है. इस ख़ुशबू में रच-बस जाने का मन करता है. इस संगीत में डूबे रहने का जी चाहता है.

विनोद जी के स्नेहिल एक्सप्रेशन और मानव का उनके लाड़ में लिपटा हुआ होना. विनोद जी से मिलने की मेरी इच्छा को कुछ ठौर मिलता है इस तस्वीर में. मैं इस तस्वीर के प्रेम में हूँ.

9 comments:

Maya kaul said...

खूबसूरत बहुत खूबसूरत

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.3.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4372 में दिया जाएगा| चर्चा मंच ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सभी चर्चाकारों की हासला अफजाई करेगी
धनयवाद
दिलबाग

Ravindra Singh Yadav said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 17 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

!

Sarita sail said...

बढ़िया लेख

विभा रानी श्रीवास्तव said...

बहुत सुन्दर
प्रेम का प्रेम में होना

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

वाह बहुत सुन्दर आलेख, जैसे किसी को चाहकर प्रेम नही किया जा सकता वह तो बस हो जाता है प्यारी अभिव्यक्ति से पूर्ण

कविता रावत said...

गहन आत्मीयता का बोध झलक उठा आपकी लेखनी से,
ऐसा प्रेम आज के समय में बहुत कम मिलता है और जब यह कहीं मिलता है या दिखता है तो सच में उसे शब्दों में व्यक्त करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता

मन की वीणा said...

अद्भुत सुखानुभुति से आलोकित लेख या कि मन के सुंदरतम पल ।
वाह।

Onkar said...

सुन्दर प्रस्तुति