-कौशल किशोर
‘मारीना’ कवि-कथाकार-पत्रकार प्रतिभा कटियार की हिन्दी के पाठकों के लिए खोज है। यह उस कवि की तलाश है जो अपने देश रूस से बेइन्तहां प्यार करती थी। पर उसके देश ने क्या दिया? विस्मृति। उसे भुला दिया और उसकी याद भी आई तो मरने के बाद। यह कृति रूस की महान कवयित्री मारीना त्स्वेतायेवा के युग और जीवन पर केन्द्रित है। पिछले साल 2020 में संवाद प्रकाशन, मेरठ से आई। इसमें प्रतिभा की प्रतिभा छलछलाती हुई दिखती है।
मरीना को जो जीवन मिला, वह त्रासदी से भरा था। लगातार एक शहर से दूसरे शहर, एक जगह से दूसरी जगह, एक देश से दूसरे देश। यह न थमने वाला सिलसिला था। इसमें संघर्ष ही संघर्ष था। इसमें रोटी के जुगाड़ से लेकर जिन्दगी की छोटी से छोटी जरूरतें शामिल थीं। यह तो शब्द और कविता थी जिसने उसे सहारा दिया। खत और डायरी का साथ मिला। उसके दो प्रिय शगल थे - ख्वाबों से बात करना और खत लिखना। यह न होता तो वह कब की खत्म हो गई होती।
मृत्यु हमेशा उसके पास रही, साथ रही। मृत्यु में ही उसने जीवन देखा और उसे जीवन के कैद में महसूस किया। लोग अपना जन्मदिन मनाते हैं, सुखमय जीवन की कामना करते हैं। पर यहां कहानी उलटी है। वह अपने स़त्रहवें जन्मदिन पर मृत्यु की कामना करती है। 14 साल की उसकी उम्र थी जब मां गई। पिता का साथ 25 वें साल में छूटा। सबसे दर्दनाक मौत अपनी छोटी बेटी का देखने को मिला। विडम्बना यह कि उसकी मौत के बाद उससे वह मिल भी न पाई। वह बड़ी बेटी को नहीं छोड़ सकती थी जो जीवन और मृत्यु के बीच थी।
मरीना की दुनिया प्रेम से भरी थी। कह सकते हैं कि वह प्रेम के लिए ही बनी थी। उसे लगता कि प्रेम ही उसे बचा सकता है। उसका प्रेम पुश्किन से था। नेपोलियन के प्रति उसका आकर्षण था। पहला प्रेम किशोरावस्था में हुआ। सर्गेई से पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर शादी की। यह प्रेम विवाह था। उसे निभाया। उस पर कविता लिखी। प्रेम की उसकी दुनिया में रिल्के हैं, बोरिस पास्तरनाक हैं और भी कई हैं। प्रेम उसके यहां बहती नदी है।
मारीना की कविताई का दौर 13 साल की उम्र से शुरू हुआ। मां चाहती थी कि वह पियानो सीखे। उसका लगाव संगीत से हो लेकिन उसका प्रेम तो शब्दों से था। 17 साल की उम्र में पहला संग्रह ‘द इवनिंग एल्बम’ आया। ‘द फ्रेंड’, ‘पोयम फॉर यूथ’, ‘साइकिल’ जैसी कविता श्रृंखला से लेकर ‘द जार और मैडम’ जैसी अनगिनत कृतियों से उसने साहित्य की दुनिया को समृद्ध किया। रूस के लोकजीवन और लोक संस्कृति से उसका भावनात्मक लगाव था। वह कविता को देश के पार, भाषा के पार जाकर देखती थी। कवि को वह बन्धनमुक्त देखना चाहती थी। उसकी काव्य प्रतिभा से लगता है कि वह इस दुनिया की नहीं बल्कि इसके पार की है।
मरीना की दुनिया प्रेम से भरी थी। कह सकते हैं कि वह प्रेम के लिए ही बनी थी। उसे लगता कि प्रेम ही उसे बचा सकता है। उसका प्रेम पुश्किन से था। नेपोलियन के प्रति उसका आकर्षण था। पहला प्रेम किशोरावस्था में हुआ। सर्गेई से पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर शादी की। यह प्रेम विवाह था। उसे निभाया। उस पर कविता लिखी। प्रेम की उसकी दुनिया में रिल्के हैं, बोरिस पास्तरनाक हैं और भी कई हैं। प्रेम उसके यहां बहती नदी है।
मारीना की कविताई का दौर 13 साल की उम्र से शुरू हुआ। मां चाहती थी कि वह पियानो सीखे। उसका लगाव संगीत से हो लेकिन उसका प्रेम तो शब्दों से था। 17 साल की उम्र में पहला संग्रह ‘द इवनिंग एल्बम’ आया। ‘द फ्रेंड’, ‘पोयम फॉर यूथ’, ‘साइकिल’ जैसी कविता श्रृंखला से लेकर ‘द जार और मैडम’ जैसी अनगिनत कृतियों से उसने साहित्य की दुनिया को समृद्ध किया। रूस के लोकजीवन और लोक संस्कृति से उसका भावनात्मक लगाव था। वह कविता को देश के पार, भाषा के पार जाकर देखती थी। कवि को वह बन्धनमुक्त देखना चाहती थी। उसकी काव्य प्रतिभा से लगता है कि वह इस दुनिया की नहीं बल्कि इसके पार की है।
मारीना का समय दुनिया का सबसे हलचल, उथल-पुथल, उलझाव से भरा था। उसमें उसने विस्थापन, निर्वासन झेला। 17 साल अपने देश से बाहर रहना पड़ा। इतिहास के बारे में बातें करना और इतिहास जीना दो अलग चीजें हैं। वह इतिहास मारीना का वर्तमान था। वह ऐसा था जहां उसके लिए मृत्यु में ही मुक्ति थी। उसने यही चुना और परिदृश्य से ओझल हो गयी। वह इस तरह ओझल हुई कि पता ही नहीं कि उसे किस कब्रिस्तान में दफनाया गया। उसे मृत्यु के कई बरस बाद जाना गया, उसकी कविता को पहचाना गया। वह प्रतिष्ठित हुई। उसका मूल्यांकन करते हुए यहां तक कहा गया कि वह तो नोबल पुरस्कार की हकदार थी। उसका जीवन और संघर्ष और अन्त में मृत्यु का आलिंगन उस वक्त की राजनीति और सत्ता व संस्कृति की संरचना पर भी टिप्पणी है।
प्रतिभा की किताब इसी ‘मारीना’ की कथा है। यह जीवनी मात्र नहीं है। यह उसकी संघर्ष कथा, त्रासदी कथा, स्वप्न कथा, प्रेम कथा, काव्य कथा, आत्मकथा सबको समेटती है। बीच बीच में ‘बुक मार्क’ के रूप में टिप्पणियां कृति को जीवन्त है और पाठ को रोचक बनाती हैं। मरीना में प्रतिभा समाहित है। वह जिस तरह मारीना से इश्क करती है, यह उसकी दास्तां है। वह मारीना में अपने को पाती है, उसे रचती है, उससे बतियाती है, बहसती है, सवाल करती है और उसमें समा जाती है। इसीलिए यह अनूठी कृति बन पाई है। यह हिन्दी के उन पाठकों के लिए अनुपम भेंट है जिनकी विश्व साहित्य को जानने, समझने व पढ़ने की रूचि है।
प्रतिभा की किताब इसी ‘मारीना’ की कथा है। यह जीवनी मात्र नहीं है। यह उसकी संघर्ष कथा, त्रासदी कथा, स्वप्न कथा, प्रेम कथा, काव्य कथा, आत्मकथा सबको समेटती है। बीच बीच में ‘बुक मार्क’ के रूप में टिप्पणियां कृति को जीवन्त है और पाठ को रोचक बनाती हैं। मरीना में प्रतिभा समाहित है। वह जिस तरह मारीना से इश्क करती है, यह उसकी दास्तां है। वह मारीना में अपने को पाती है, उसे रचती है, उससे बतियाती है, बहसती है, सवाल करती है और उसमें समा जाती है। इसीलिए यह अनूठी कृति बन पाई है। यह हिन्दी के उन पाठकों के लिए अनुपम भेंट है जिनकी विश्व साहित्य को जानने, समझने व पढ़ने की रूचि है।
24 जनवरी के खुशगवार शाम में प्रतिभा के इस ‘मारीना’ से उसके अपने शहर लखनऊ के लोगों की मुलाकात हुई। आसमान साफ था। कई दिनों के बाद धूप खिली थी। इस अवसर पर प्रतिभा की इस कृति की सात साल की रचना यात्रा के संग-साथी शामिल थे। उसकी दोस्त ज्योति थी तो मम्मी भी थी जिन्होंने पल-पल का ख्याल रखा। बेटी ख्वाहिश इस पूरे लम्हे को अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लेने में जुटी थी। ‘मारीना’ के विमोचन का यह कार्यक्रम मानस नगर, हजरतगंज के एक खुले परिसर में सम्पन्न हुआ। अध्यक्षता आलोचक वीरेन्द्र यादव ने की। संचालन किया कवि व जसम उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर ने। वक्ता थे इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव राकेश, आलोचक नलिन रंजन, कवि व पत्रकार सुभाष राय, कवि भगवान स्वरूप कटियार, कवयित्री विमल किशोर व सीमा सिंह और तारा कटियार। इस मौके पर कवि-कथाकार शालिनी सिंह, कवि-कथाकार तरुण निशान्त, युवा लेखक हाफिज किदवई आदि कई लोग मौजूद थे। आयोजन जन संस्कृति मंच का था।
प्रतिभा कटियार ने अपने शहर लखनऊ में ‘मारीना’ को पाकर बेहद खुश थी। उसने बताया कि उसने कैसे मरीना को जाना और कैसे जानती चली गई। उसने सात साल की लम्बी रचना प्रक्रिया की दास्तां सुनाई। मम्मी ने कैसे ख्याल रखा। मित्रों के साथ व सुझाव को भी याद किया। सर्वोपरि डा वरयाम सिंह के प्रेरक सहयोग के बारे में बताया कि अगर उनका साथ न मिला होता तो मारीना तक पहुंचना असंभव था। वे ही थे जिसकी वजह से यह संभव हो पाया। उन्होंने जितेन्द्र रघुंवशी, अशोक पाण्डेय सहित कई रचनाकारों के सहयोग-सुझाव को याद किया। कार्यक्रम के बाद प्रतिभा कटियार ने सोशल मीडिया पर लिखा भी ‘मारीना ने मेरे कान में चुपके से कहा- तुम्हारे शहर के लोगों ने समझा, मुझे प्यार किया। उन्हें शुक्रिया कहना। मैंने उससे हंसकर कहा कि हां, मैंने उन्हें शुक्रिया कहा है। हालांकि शुक्रिया नाकाफी होता है ऐसे अवसरों पर।’
तो यह कहानी है प्रतिभा कटियार की ‘मारीना’ की। जैसा पहले ही कहा कि इसमें प्रतिभा की ‘प्रतिभा’ प्रस्फुटित होकर सामने आई है। ऐसी कृति के लिए प्रतिभा को हार्दिक बधाई, दिली मुबारकबार वह शुभकामनांए। प्रतिभा की अगली किताब का बेसब्री से इंतजार रहेगा।
तो यह कहानी है प्रतिभा कटियार की ‘मारीना’ की। जैसा पहले ही कहा कि इसमें प्रतिभा की ‘प्रतिभा’ प्रस्फुटित होकर सामने आई है। ऐसी कृति के लिए प्रतिभा को हार्दिक बधाई, दिली मुबारकबार वह शुभकामनांए। प्रतिभा की अगली किताब का बेसब्री से इंतजार रहेगा।
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