Wednesday, December 10, 2025

रियल कश्मीर फुटबॉल क्लब



मौत का ज़ायका सबको चखना है,
ज़िंदगी का ज़ायका किसी किसी को नसीब होता है...

ज़िंदगी के इसी ज़ायके को तलाश रहा है 'रियल कश्मीर क्लब'। कश्मीर का नाम आते ही ज़ेहन में तमाम मुद्दे, तल्ख अनुभव इस कदर हावी होने लगते हैं कि कश्मीरियत, इंसानियत, वहाँ की अवाम क्या चाहती है, वहाँ की खूबसूरती दरगुजर सी होने लगती है।

'रियल कश्मीर फुटबॉल क्लब' उस दरगुजर होती कश्मीर की खूबसूरती को, उस ख़ुशबू को सहेजता है। 8 एपिसोड की यह सीरीज देख लीजिये। देख लीजिये कि कश्मीर के नाम पर नफ़रत का समान बहुत परोसा गया है,  लेकिन यह प्यार है। जब-जब लगता है कि अरे, यह तो सीरीज है, ऐसा होता भी काश, तब तब ध्यान आता है कि यह सच्ची कहानी पर आधारित है। यानि हैं कुछ दीवाने लोग जो नफरत की आंधियों में मोहब्बत का दिया जलाए हुए हैं।

कहानी लिखी बहुत अच्छी गई है। जीशान अयूब और मानव कौल के अलावा भी हर पात्र ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। 

फिल्म के छोटे-छोटे टुकड़ों में मानव का कश्मीर कनेक्ट आसानी से दिख जाता है। लेकिन कुछ दृश्य ऐसे हैं जो रुला देंगे और लगेगा उनकी किताब रूह के पन्ने खुल गए हैं। अपने काम में कोई खुद को इस कदर जी ले, इससे अच्छा क्या ही हो सकता है। 

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