Tuesday, February 1, 2022

धूप से गुनगुनाते प्रेम पत्र




-जयंती रंगनाथन 
मैं उसी की तरह, उसी जैसा बन कर कुछ कहना चाहती हूं:
मैं धूप हूं
तुम्हारे हिस्से की,
अपने हिस्से की भी
और उस बुलबुल के हिस्से की भी
जो इन दिनों रोज आती है
मेरी छत पर बने वर्टिकल गार्डन में
वो गाना गाती है
मुझे झूले पर बैठा देख, रुक जाती है
कहना चाहती है
तुम मेरे हिस्से का धूप जी रही हो
और जिंदगी भी…
तो प्रतिभा, क्या तुम्हारे कठिन दिनों के प्रेम पत्र, वह चिड़िया क्या गाती होगी, पढ़ने के बाद मैं तुम्हारी तरह कुछ बन सकी?
इन दिनों मौसम भी कुछ वैसा सा है, जैसा प्रतिभा चाहती होंगी। इसी मौसम में लिखे गए अपनों के लिए अपने से प्रेम पत्र और कविताएं कितना सुकून दे रही हैं, कैसे कहूं…
ये वो सबकुछ है, जो आप कहना चाहते हैं, किसी बेहद अपने से। कह नहीं पाए। बानगी देखिए: देखो, खुशबू उगी है। तुम बो गए थे इंतजार के जो बीज वो खिल रहे हैं। महक रहे हैं। यह खुशबू मुझसे हर वक्त बात करती है। हर वक्त मैं इस खुशबू को ओढ़े फिरती हूं। कल एक चिड़िया खिड़की पर आई, देर तक मुझे देखती रही। मैं उससे पूछा, क्या देख रही हो। वो हंस कर उड़ गई।
2
जब याद आती है
तब सिर्फ याद आती है…
3
अच्छा लगना, कितना अच्छा होता है?
4
एक सड़क मिली मुझे
जो कहीं नहीं जाती थी
एक मौसम मिला
जो अपने तमाम वैभव के बावजूद
मुस्कराहट गुमा आया था कहीं
तो ये है संवेदनाओं से भरपूर, प्यारी और बेहद संजीदा प्रतिभा कटियार। मैं उसे पता नहीं कितने बरस से जानती हूं। उसकी बातों में अजब सी धूप है, वो कुछ कहती है, फिर देर तक याद आती रहती है। उससे पिछले दिनों इंदौर लिट फिस्ट में मिली थी। हम शायद पहली बार मिले थे, पर ये जो धूप का रिश्ता था, वो अड़ गया। हम वही थे, जो हमारी बातों में थे। उस लड़की की यह किताब सच में बहुत निराली है। ना कहानी है ना किस्से हैं, बस यादों से पगे, उलझे-सुलझे से लॉकडाउन के दौरान उपजे नामालूम से खत हैं, जो कभी कहीं नहीं पहुंचे।
मैंने पढ़ लिया प्रतिभा और मन में बिठा भी लिया। अब तुमसे बात करूंगी। बहुत प्यार इन शब्दों और संवेदनाओं के लिए, जो मुझे लग रहा है मेरे लिए लिखे गए हैं।

किताब: वह चिड़िया क्या गाती होगी: कठिन दिनों के प्रेम-पत्र
प्रकाशक: बोधि प्रकाशन
कीमत: 150 रुपए
किताब खरीदने का लिंक- https://www.amazon.in/CHIDIYA-GAATI-HOGI-KATHIN-PATRA/dp/B09PJB1PR2/ref=sr_1_1?crid=6EL89QIKBIG8&keywords=pratibha+katiyar&qid=1643724814&sprefix=pratibha+katiyar%2Caps%2C509&sr=8-1

1 comment:

Ravindra Singh Yadav said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 03 फ़रवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

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