Thursday, May 20, 2021

ठहरना जरूरी है

बरस बरस के हांफ गये हैं बादल, जरा देर को ब्रेक लिया हो जैसे. और इस जरा से ब्रेक में ही परिंदों ने उड़ान भरी है. बरस के रुके हुए मौसम में एक अजब किस्म का ठहराव होता है. प्रकृति का समूचा हरा अपनी तिलस्मी स्निग्धता के संग मुस्कुराता नजर आता है. पत्तों पर अटकी हुई बूँदें किसी जादू से मालूम होती हैं. 

दोपहर के साढ़े बारह बजे हैं और मैं अभी तक सिर्फ एक कप चाय पीकर बारिश की संगत पर एकांत का सुर लगाने की कोशिश कर रही हूँ. यह सुर लग नहीं रहा अरसे से. कि जिस एकांत की कभी खोज रहा करती थी वही अब काटता क्यों है, भयभीत करता है. फिर यह भी है कि इसके खो जाने का भय भी है. अजीब  कश्मकश है. जो है उससे ऊब भी है, भय भी और उसी से मोह भी. जब कभी सुर लग जाता है तब एकांत महक उठता है और जब सुर नहीं लगता इसी एकांत को तोड़ देने के एक से एक नायाब तरीके जेहन में आते रहते हैं. 

असल मसला उस सवाल का है जो भीतर है और अरसे से अनुत्तरित है. हम जिन्दगी से क्या चाहते हैं? अगर इस सवाल का जवाब ठीक ठीक पता होता है तो वह मिलते ही हम संतुष्ट हो जाते हैं, खुश हो जाते हैं. लेकिन उस सवाल के उत्तर में अगर घालमेल है तो गडबड होती रहेगी.

मुझे हमेशा लगता है जवाब को छोड़ दें अगर हम पहले सही सवालों तक पहुँच जाएँ तो यह भी काफी है. शायद वहीँ से कोई राह खुले. 

खिली हुई जूही बारिश में भीग कर इतरा रही है. मौसम में सोंधेपन का इत्र है. भीतर की उदासी बाहर के मौसम से टकराकर टूट नहीं रही फिर भी टकराना अच्छा लग रहा है. 

एक परिंदा खिड़की पर आ बैठा. मेरी तरफ देखते हुए वो नहीं जानता कि अब वो इस पार इंट्री ले चुका है. सोचती हूँ एक बार चाय और पी जाए. कल शाम एक फिल्म की बाबत एक दोस्त ने बताया है, एक आधी पढ़ी किताब है इन्हें जमापूँजी सा सहेजे हूँ. फिल्म देख लूंगी, कितबा पूरी पढ़ लूंगी तो पूँजी खत्म हो जायेगी...इसलिए थोड़ा ठहरना जरूरी है.

9 comments:

शिवम कुमार पाण्डेय said...

बेहतरीन।

Manisha Goswami said...

बहुत ही खूबसूरत लेख , शब्दों का चयन आपने बहुत ही खूबसूरती से किया है जो वाकई काबिले तारीफ है👏👏👌
हमारे ब्लॉग पर भी आइएगा आपका स्वागत है🙏🙏

Ravindra Singh Yadav said...

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा गुरुवार (20-05-2021 ) को 'लड़ते-लड़ते कभी न थकेगी दुनिया' (चर्चा अंक 4071) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव

ANHAD NAAD said...

शुभ हो !

Onkar said...

बहुत सुन्दर

Onkar said...

बहुत सुंदर

Jyoti khare said...

जीवन,प्रकृति और किताब के बीच
ठहरना बहुत जरूरी है
भावपूर्ण और सुंदर शब्दचित्र
बधाई

LOVESOV said...

AWESOME POST THANKS FOR SHARE I LOVE THIS POST

LOVESOV said...

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