Sunday, May 9, 2021

जंग जारी है...


मुझे एक ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए?
है तो लेकिन वो सिर्फ परिवारी जन के लिए है. क्या पेशेंट आपके परिवार के हैं?
मैंने जोर से सर हिलाकर कहा 'हाँ, एकदम' जबकि सर हिलाना फोन पर नहीं दिखा होगा.
कौन हैं?
मैंने कहा वो मेरे पिता जैसे हैं?
मैडम 'जैसे' का कोई रिश्ता नहीं होता.
फोन कट

मुझे एक ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए?
अच्छा. मिल जाएगा. एक घंटे में इसी नम्बर पर फोन करियेगा.
आपने कहा था एक घंटे बाद फोन करने को. मुझे ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए.
हाँ, तो पता और पेशेंट के डिटेल्स भेजिए
....हॉस्पिटल.
सौरी मैडम हम हॉस्पिटल में सिलेंडर नहीं भेजते. उन्हें भेजते हैं जिन्हें हॉस्पीटल नही मिले.
फोन कट

मुझे एक ऑक्सीजन सिलेंडर चाहिए...
ओह, आपने थोड़ा पहले फोन किया होता. आज
आज संडे न होता
नम्बर नम्बर नम्बर...फोरवर्ड ....फोन स्विच ऑफ या बिजी

जब तक उतरो न मैदान में जंग की सिर्फ खबरें लहूलुहान करती हैं जब उतरो मैदान में तब खबरों की तो दूर शरीर के जख्मों की भी सुध नहीं रहती. इस समय किसी की जान बचाना भी एक जंग है...

8 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 10 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Dr (Miss) Sharad Singh said...

सच्चाई...
कठोर सच्चाई...

Kamini Sinha said...

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11 -5-21) को "कल हो जाता आज पुराना" '(चर्चा अंक-4062) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा

PRAKRITI DARSHAN said...

इस दौर का सबसे मूल और चिंतन करने वाला विषय...।

PRAKRITI DARSHAN said...

जून अंक का विषय- घुटता दम, बेदम सिस्टम
राष्ट्रीय मासिक पत्रिका प्रकृति दर्शन का जून अंक का विषय- ऑक्सीजन (घटती ऑक्सीजन, घुटता दम, बेदम सिस्टम, घुटता दम, वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन, हांफता सिस्टम)
कोरोना संक्रमण काल है और इस दौर में ऑक्सीजन चिंता का एक प्रमुख विषय बनकर हमारे सामने है। ऑक्सीजन के मायने भी समझ आए और प्रकृति की अहमियत भी। हमारे संसार ने जो रचा है उसमें कोरोना भी है और ऑक्सीजन भी...लेकिन ये भी साबित हो गया है कि हमारे आत्मरक्षा के प्रयास कहीं उतने मजबूत नहीं हैं क्यांकि इस दौर ने दिखा दिया कि बिना ऑक्सीजन के या मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के बाद सिस्टम और जिंदगी कितनी जल्दी बेहद होने लगती है। पूरा का पूरा सिस्टम हांफ रहा है। ये अंक बेहद महत्वपूर्ण है इसमें आलेख आमंत्रित हैं, मेडिकल ऑक्सीजन के संकट पर, प्रकृति की ऑक्सीजन पर, ऑक्सीजन कैसे बढ़े, कैसे हमारा ये सिस्टम ऑक्सीजन पाकर वेंटिलेटर से अपने आप को मुक्त कर पाए। विषय एक है लेकिन लिखने को बहुत है। हम बताएं कि कैसे हम भविष्य में ऐसे किसी भी संकट से बच सकते हैं, कैसे हमें हालात बदलने होंगे, कैसे हमें प्रकृति से सीखना होगा, समझना होगा।
आपसे निवेदन है कि हमें आपके आलेख संक्षिप्त परिचय और फोटोग्राफ के साथ 20मई तक ईमेल के माध्यम से अवश्य मिल जाएं।
लिखियेगा क्योंकि मेडिकल ऑक्सीजन के बिना हमारी चिकित्सा व्यवस्था का बेदम होना कुछ लाख मरीजों के लिए बुरी खबर है ,
वहीं प्रकृति में ऑक्सीजन की कमी पूरी पृथ्वी के साढ़े छह अरब निवासियों के लिए कितना घातक हो सकती है
ये कमी अच्छे संकेत नहीं दे रही है ...
लिखियेगा क्योंकि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संकट में है...।
20मई तक आलेख ईमेल के माध्यम से मिल जाएं।

Email- editorpd17@gmail.com
Mob/What'sapp - 8191903651

Onkar said...

सच्चाई

Anuradha chauhan said...

यही आज की कड़वी सच्चाई है।

Anita said...

वर्तमान का कटु सत्य