तेज़ धूप में खिलखिलाते अमलतास कहते हैं
खिलना तो है ही काली अंधियारी रात में
मोगरे का महकता उजियारा
कानों में फुसफुसाता है
खिलना तो है ही
तेज़ बारिश में मोटी बूंदों से लड़ते भिड़ते
खिलती कलियां मुस्कुराकर कहती हैं
खिलना तो है ही
जिन्दगी की हर मुश्किल हाथ थाम
कहती है हिम्मत
भिड़ना तो है ही...
भिड़ना तो है ही...
1 comment:
बहुत सुन्दर
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