Saturday, March 28, 2020

तुम हो तो जीने को जी चाहता है


तुम साथ होती हो तो
आसमान झुक कर
करीब आ जाता है

काँधे से सटकर
बैठ जाती हैं उम्मीदें

बारिश की बूंदे
सिर्फ तुम्हारी खातिर
अटकी रहती हैं देर तक
पत्तों पर

तुम हो तो हर उम्मीद को
थाम लेने की जी चाहता है
तुम हो तो जीने को जी चाहता है.

जन्मदिन मुबारक प्यारी संज्ञा

5 comments:

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत सुंदर

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत सुंदर

Onkar said...

सुन्दर प्रस्तुति

Sudha Devrani said...

वाह!!!
बहुत ही सुन्दर मनभावन सृजन

विकास नैनवाल 'अंजान' said...

सुंदर कविता। संज्ञा जी को जन्मदिवस की बधाई।