क्या तुमने वह संगीत सुना है,
जिसे कोई भूख के लिए बजा रहा होता है?
बंधे-बंधाए सुर के बीच में कहीं उसकी उंग्लिया गलती से कांप जाती है।
कहते हैं, जब दूर देश से उसकी प्रेमिका का खत उसे मिलता था..
तो वह उस ख़त में प्रेम नहीं.... पैसे तलाशता था।
सुना तुमने.... सुनो...
भूख के लिए उसकी उंग्लिया फिर कांप गई।लोग उससे कहते हैं कि वह बहुत अच्छा संगीत लिखता है।
तो वह कहता है कि... मैं नहीं लिखता, लिखता तो कोई ओर है...
मैं तो बस उसे सहता हूँ।
संगीत उसकी धमनियों में नहीं है...
वह उसके पेट निकलता है।हर उंग्लियों की गलती पर उसके संगीत में आत्मा प्रवेश करती है।
कहते है... वह भर पेट संगीत नहीं लिख पाता है...
उसके लिए उसे भूखा रहना पड़ता है।
भूख...
भूख एक आदत है.... बुरी आदत।जो उस व्यक्ति को लगी हुई है...
जिसे वह लगातार सहता है।
- मानव कौल
2 comments:
बेहतरीन ..
भूख तोड़ कर रख देती है, संगीत टूट से कहाँ सधा है।
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