कोई एक लम्हा आता है और जिंदगी की गिरह खोल देता है, जिंदगी भक्कक से खुल पड़ती है, बिखर जाती है, संभाले नहीं सम्भलती. बूढी दादी डांटती है की नेक हौले हौले हंस छोरी और छोरी....वो तो और जोर से ठठाकर हंस पड़ती है. आसमान सुनता है उसकी हंसी, धरती सहेजती है उसकी खिलखिलाहटों के बीज, फूल बनकर उगती है वो हंसी, नदियों के अमृत में उतरती है वो पवित्र हंसी, जिंदगी की हंसी।
लेकिन कोई लम्हा ऐसा भी आता है कि मुस्कुराहटें सहम जाती हैं, दूर लौट जाती हैं होंठो की ड्योढ़ी से। कोई बात कोई मनुहार उसे मना नहीं पाती। उसी जिन्दा देह में कोई मर जाता है. वो हमसे बात करता रहता है, शाम की चाय साथ पीकर वापस घर लौट जाता है, राजनैतिक चर्चा करता है, ऑफिस वक़्त पे पहुंचता है लेकिन हम जान ही नहीं पाते कि अभी-अभी जो व्यक्ति उठकर गया है पास से वो तो कबका मर चुका है.
ये मानना कितना मुश्किल है कि वो जो सुबह चाय में चीनी कम होने की शिकायत करके गया कितने दिन हुए उसे मरे हुए.… मरना आसान नहीं, जीना भी नहीं। किसी का असमय जाना पूरे समाज पर तमाचा है, हम सब जिम्मेदार हैं असामयिक आत्महत्याओं के. देह जो आसपास सांस लेती रहती है, खिलखिलाती रहती है, कवितायेँ लिखती रहती है, सिनेमा देखती है, पॉपकार्न खाती है, चुहलबाज़ी करती रहती है लेकिन वो हमें पुकारती भी है, उनकी आँखों के समंदर आवाज देते हैं, हम सुन ही नहीं पाते।
जीते जी सहेज न पाना और किसी के मर जाने पर करुण विलाप एक किस्म की अश्लीलता सी लगते हैं मुझे। हम गुनहगार हैं.… अंशु तुम्हें सुन न पाने के, तुम्हारी हथेलियों को अपनी हथेलियों में कसकर दबा न लेने के. हम गुनहगार हैं.…सचमुच।
हालाँकि कुछ ही रोज़ पहले देह में घिसटती सांसों की मुक्ति को राहत होते भी महसूस किया है फिर भी कहती हूँ की जिंदगियां बचायी ही जानी चाहिए, शायद गलत कह रही हूँ मैं. जिंदगी नहीं जिंदगी जीने की इच्छा को बचाया जाना चाहिए, सपने, हिम्मत, हौसला बचाया जाना चाहिए, जिंदगी में आस्था बचायी जानी चाहिए.... क्योंकि देह भर नहीं होती जिंदगी।
कौन कहता है कि जिंदगी और मौत ऊपरवाले के हाथ में है , अगर सचमुच ऐसा है तो ऊपरवाले को बहुत सारी मौतों का जवाब देना होगा, बहुत सारी जिंदगियों का भी.… आइये ऊपरवाले साहब, आपसे जरा बात करनी है.
3 comments:
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
सत्य का आइना दिखाती रचना |
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
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