तुम्हारा होना
जैसे चाय पीने की शदीद इच्छा होना
और घर में चायपत्ती का न होना
जैसे रास्तों पर दौड़ते जाने के इरादे से निकलना
और रास्तों के सीने पर टंगा होना बोर्ड
डेड इंड
जैसे बारिश में बेहिसाब भीगने की इच्छा
पर घोषित होना सूखा
जैसे एकांत की तलाश का जा मिलना
एक अनवरत् कोलाहल से
जैसे मृत्यु की कामना के बीच
बार-बार उगना जीवन की मजबूरियों का
तुम्हारा होना अक्सर 'हो' के बिना ही आता है
सिर्फ 'ना' बनकर रह जाता है...
10 comments:
निराशा ,ना उम्मीदी भी जीवन का एक अंग है और क्षणिक है l
आपकी लिखी रचना शनिवार 22 दिसंबर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
क्षमा याचना...आपकी लिखी रचना शनिवार 13 दिसंबर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (13-12-2014) को "धर्म के रक्षको! मानवता के रक्षक बनो" (चर्चा-1826) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
किसी का ना होने जैसा होना बड़ा तड़पाता है ।
यही कशमकश इंसान की नियति है.
प्रिय दोस्त मझे यह Article बहुत अच्छा लगा। आज बहुत से लोग कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त है और वे ज्ञान के अभाव में अपने बहुत सारे धन को बरबाद कर देते हैं। उन लोगों को यदि स्वास्थ्य की जानकारियां ठीक प्रकार से मिल जाए तो वे लोग बरवाद होने से बच जायेंगे तथा स्वास्थ भी रहेंगे। मैं ऐसे लोगों को स्वास्थ्य की जानकारियां फ्री में www.Jkhealthworld.com के माध्यम से प्रदान करता हूं। मैं एक Social Worker हूं और जनकल्याण की भावना से यह कार्य कर रहा हूं। आप मेरे इस कार्य में मदद करें ताकि अधिक से अधिक लोगों तक ये जानकारियां आसानी से पहुच सकें और वे अपने इलाज स्वयं कर सकें। यदि आपको मेरा यह सुझाव पसंद आया तो इस लिंक को अपने Blog या Website पर जगह दें। धन्यवाद!
Health Care in Hindi
बहुत खूब
bahut hi umda ...gahre bhaaw
Nice Peom Pratibha ji, I read one of your article in Dainik Bahskar in first week of December sunday supplement. It was impressive.
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