उसने कहा सुख, लड़के ने उसे भीतर आने दिया. उसने कहा दुख, लड़के ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया. सुख के चेहरों पर चमक थी. वे निहायत खूबसूरत थे. उन्हें देखते ही उनसे प्यार हो जाता था. पहली न$जर का प्यार. सुखों से उसका पुराना नाता था. हर सुख का रंग-ढंग, अंदाज सब उसे लुभाते थे. उसके घर का हर कोना सुखों की चमक से सजा-धजा था. जिंदगी के दिन जैसे-जैसे बीतते गये, वो समझदार होता गया. उसे सुखों को कसौटी पर कसना आ गया. अब अगर सुख कभी चेहरा बदलकर आये तो भी उसे पहचान लेता था और बांह पकड़कर अपने पास बिठा लेता.
अब तक उसे अपने हुनर पर खूब भरोसा हो चला था कि बंद आंखों से भी वो सुख और दुख का भेद आसानी से कर सकता है.
ऐसी ही बेख्याली में एक दिन उसने एक सुख को अपना लिया. उसने लाख इसरार किया कि आप गलत समझ रहे हैं, मैं सुख नहीं हूं. आपको गलतफहमी हुई है. लड़का हंस दिया. उसे अपने अनुभवों पर गुमान था. जबसे यह सुख उसने चुना, उसकी आंखें नम रहने लगीं. सुख का ऐसा स्वाद...तो उसे कभी नहीं मिला था. अपनी जिद में वो लड़का अब भी उसे सुख कहता है. रोज अपनी आंखों में पहनता है. पनीली आंखें लिए घूमता फिरता है. और वो दुख जो लड़के की गलतफहमी के चलते सुखों के संसार में पहुंच गया था खुद की निरीहता, दरिद्रता को छुपाने के लिए लड़के की आंखों में जा छुपता है.
लड़के की आंखों से जाने सुख बहता है या दुख पर लड़का उसे अब भी सुख ही कहता है...लड़का अब भी नहीं जान पाया है कि सुख और दुख छलिया होते हैं कभी-कभी भेष बदलकर जीवन में दाखिल हो जाते हैं. इतना तय है लेकिन सुख एक जगह पर टिकते नहीं और दुख कभी दामन छोड़ते नहीं...लड़का अब अपने सुख को आंखों में लिया घूमता फिरता है. वो न आंख से टपकता है, न जज्ब होता है. कुछ दिनों से उसे धुंधला दिखने लगा है शायद...
6 comments:
प्यार हो गया था शायद लड़के को..सुख और दुःख दोनों की अनुभूति जिस शिद्दत से यह प्यार कराता है..और कोई नहीं करा सकता
यही होता है, आँसू से धुलती रहनी चाहिये आँखें।
enough !
Sukh dukh ki coktail waali bakwaas naheen parhi na tumne..
jaap beta...parho..u actually need it !
आपकी रचनाएँ संजीवनी सी लगती हैं
यही बेख्याली अंततः उससे बेहतर साबित हुई.
'कुछ दिनों से उसे धुंधला दिखने लगा है शायद... 'इस पर Amores perros का संवाद याद आ गया जो कुछ यूं था-
'if God wants me to see blurry,I see blurry...'
अच्छा लगा कि इन दिनों आप नियमित लिख रहीं हैं.
शुक्रिया संजय जी!
Post a Comment