जब भी मुश्किलें रास्ता रोकती हैं, न जाने कहाँ से एक आवाज का हाथ अपने शानों पे महसूस होता है. वो आवाज कहती है कि 'दुःख को दुःख कहने से पहले सोचो कि क्या वह वाकई इस लायक है कि उसे इतना महत्व दिया जाये. मुश्किलें क्या इतनी बड़ी हैं कि उन्हें हम जिंदगी में जिंदगी से बड़ा स्थान दे दें. दुःख को सोख लो और मजबूत बनो...देखो कि दुनिया कितनी मुश्किलों से भरी है.' ये आवाज दूर देश से आती है. देश का नाम है रशिया. और आवाज का नाम मरीना. मेरी प्रिय मरीना अक्सर मुझसे बात करती है. न... न...सपने में नहीं.. जगती आँखों से उसे देखा है मैंने कई बार. आते..जाते...ठहरते. मेरे करीब मोढ़े पर बैठ जाती है कभी, तो कभी चल पड़ती है सैर पर साथ साथ. कुछ कहना नहीं पड़ता अपनी इस सखी से. वो सब समझ जाती है.
उसका होना एक सुन्दर अहसास है. 'मरीना..' उसका हाथ पकड़ के पूछती हूँ,' कहाँ से लाऊं तुम्हारे जितनी ताक़त. मजबूत कंधे. कैसे निर्विकार हो जाऊं जीवन से. कैसे सहेजूँ जीवन को जो हर घडी झर रहा है.' वो मुस्कुराती है. मैं उससे आँख नहीं मिला पाती. पन्ने पलटती हूँ उसकी डायरी के. सजदे में झुक जाती हूँ. 'हार मान ली मेरी जान तुमसे फिर मैंने हार मान ली. सचमुच तुम्हारे जीवन के सतत संघर्षों के आगे कितने बौने हैं हमारे दुःख.' वो मुस्कुराती है.मैं उसे छेडती हूँ अपने प्रिय लेखक का नाम लेकर, 'आज रिल्के की कविताओं का सिरहाना बनाऊँगी...' वो धीरे से मुस्कुराती हैं. दर्द का कोई सिरा सा फिर खुल जाता है...
क्या मैंने कभी अपने आपको
उतनी ही शिद्दत से चाहा है
जैसे मैंने चाहा है 'उसे'.
अगर ऐसा होता
तो क्या पाप होता ?
हे ईश्वर, मैं पूरी तरह
मानती हूं हार
नहीं कर पायी कभी खुद को
बेपनाह प्यार
उस तरह
जैसे मैंने चाहा 'उसे..'.
(- मरीना)
उतनी ही शिद्दत से चाहा है
जैसे मैंने चाहा है 'उसे'.
अगर ऐसा होता
तो क्या पाप होता ?
हे ईश्वर, मैं पूरी तरह
मानती हूं हार
नहीं कर पायी कभी खुद को
बेपनाह प्यार
उस तरह
जैसे मैंने चाहा 'उसे..'.
(- मरीना)
5 comments:
maan li haar o meri jaan pratibha
प्रतिभा जी, बहुत आत्मीयता से याद किया है आपने मरीना त्स्वेतायेवा को. सचमुच बहुत संघर्ष किया मरीना ने. ... लेकिन आखिरकार हार ही मान ली.
उफ्फ !
कीमती शराबों की तरह
आएँगे दिन मेरी कविताओं के...
प्रेम में व्यक्ति का कोई अधिकार नहीं, अधिकार उसके प्रति भावों की गहराई का है।
आपके दिल में मरीना के लिए प्यार अच्छा लगा.....खुद मरीना कि कविता से ज्यादा .....रिल्के तो पढने कि तमन्ना है
हे ईश्वर, मैं पूरी तरह
मानती हूं हार
नहीं कर पायी कभी खुद को
बेपनाह प्यार
अच्छा लगा..
http://shayaridays.blogspot.com
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