Thursday, June 3, 2010

हमारी सांसों में आज तक वो हिना की खुशबू महक रही है..

आज अपने ब्लॉग पर पहला ऑडियो दे रही हूँ.
इस सुरीले आगाज़ के लिए नूरजहाँ की आवाज से
बेहतर भला क्या होगा...


हमारी सांसों में आज तक वो
हिना की खुशबू महक रही है..
लबों पे नगमे मचल रहे हैं...
नज़र से मस्ती छलक रही है
हमारी सांसों में आज तक वो
हिना की खुशबू महक रही है...

वो मेरे नजदीक आते-आते
हया से एक दिन सिमट गए थे
मेरे ख्यालों में आज तक वो
बदन की डाली लचक रही है..
हमारी सांसों में आज तक वो...

सदा जो दिल से निकल रही है
वो शेरो नगमों में ढल रही है
कि दिल के आँगन में जैसे कोई
गजल की झांझर झनक रही है..
हमारी सांसों में आज तक वो...

तड़प मेरे बेकरार दिल की
कभी तो उनपे असर करेगी...
कभी तो वो भी जलेंगे इसमें
जो आग दिल में दहक रही है
हमारी सांसों में आज तक वो...

10 comments:

Rangnath Singh said...

यह गाना मेंहदी हसन और नूरजहां दोनों की आवाज में है मेरे पास। बेहतरीन है उनका सवाल-जवाब।

Alpana Verma said...

वाह !
अति सुन्दर!
आभार इस गीत को सुनवाने के लिए .

Udan Tashtari said...

इस गज़ल के तो क्या कहने...मेरी पसंदीदा गज़ा सुनाने का आभार!!

संजय भास्‍कर said...

सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

Shekhar Kumawat said...

तड़प मेरे बेकरार दिल की
कभी तो उनपे असर करेगी...
कभी तो वो भी जलेंगे इसमें
जो आग दिल में दहक रही है
हमारी सांसों में आज तक वो...


बहुत बढ़िया.

श्यामल सुमन said...

अच्छा लगा।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बहुत अच्छा लगा सुनकर

आभार

प्रज्ञा पांडेय said...

बधाई आपको
आपके पहले आडिओ पर मेरा पहला कमेन्ट ... बहुत सुंदर गीत है .. मेरा पसंदीदा!!
!! सुबह खूबसूरत हों गयी .

अभिषेक said...

ऑडियो ब्लोगिंग की शुरुआत करने के लिए शुभकामनाएँ,आशा है आगे भी इसी तरह कुछ चुनिन्दा और विरले किस्म के नगमे सुनने को मिलेंगे.

Anand Rathore said...

bahut khoob