Saturday, June 12, 2010

सुनो प्रेम बतियां...


जिस भावना को अभिव्यक्त करने में हमेशा, दुनिया की हर भाषा के शब्द पंगु हो गये वो भावना है प्रेम. फिर भी सबसे ज्यादा लिखत-पढ़त प्रेम पर ही हुई. इसी लिखत-पढ़त में से दुनिया के महान लोगों के प्रेम के बारे में व्यक्त किये गये विचारों को संकलित किया गया है एक पुस्तक में. पुस्तक का नाम है प्रेम. संवाद प्रकाशन से आई इस पुस्तक से गुजरना भी एक अनुभव है. प्रेम की इन परिभाषाओं का अनुवाद और संकलन किया है अशोक कुमार पाण्डेय जी ने.
आइये देखते हैं कुछ टुकड़े-


प्यार दीवानावार चाहे जाने की दीवानावार चाहत है- मार्क ट्वेन

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मैंने सौंप दिया खुद को उसे
और ग्रहण किया कीमत की तरह
इस तरह प्रमाणित हुआ
जीवन का पवित्र समझौता-एमिली डिकिंसन

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पुरुष जानते हैं कि स्त्रियां उन पर भारी पड़ती हैं. इसलिए वे सबसे ज्यादा कमजोर या सबसे ज्यादा अज्ञानी का चुनाव करते हैं. अगर वे ऐसा न सोचते तो उन्हें यह भ्रम न होता कि स्त्रियों को इतनी जानकारी न हो जाए, जितनी उन्हें खुद है- डॉ. जॉनसन


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पहला प्यार केवल थोड़ी सी मूर्खता और ढेर सारी उत्सुकता होता है- जॉर्ज बर्नाड शॉ

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अपरिपक्व प्रेम कहता है, मैं तुम्हें प्रेम करता हूं क्योंकि मुझे तुम्हारी जरूरत है. परिपक्व प्रेम कहता है, मुझे तुम्हारी जरूरत है क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूं-एरिक फ्राम


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जब प्यार पागलपन नहीं, तो यह प्यार ही नहीं- पेड्रो केल्ड्रान डे ला बर्का

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प्रेम हमेशा ज्ञान की शुरुआत होता है जैसे आग रोशनी की-थॉमस कार्लाइल

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पुरुष का प्यार उसकी जिंदगी की एक छोटी सी चीज होता है पर औरत के लिए यह उसका संपूर्ण अस्तित्व- लॉर्ड बॉयरन

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एक आदमी वहां नहीं, जहां वह है बल्कि वहां है जहां वह प्यार करता है- अज्ञात

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अगर प्यार न हो ते धरती मकबरे जैसी हो जायेगी- रॉबर्ट ब्राउनिंग

2 comments:

दिलीप said...

sundar vichaar rakhe...

Udan Tashtari said...

आभार इन विचारों को प्रस्तुत करने का.