दरवाजे पर दस्तक होती है खट... खट... खट....अंदर से आवाज आती है कौन? पुरुष कहता है मैं। दरवाजा नहीं खुलता। वह लौट जाता है। दूसरे दिन फिर वह आता है. दरवाजे पर फिर से दस्तक होती है खट... खट... खट....अंदर से आवाज आती है कौन? पुरुष कहता है तुम. दरवाजा खुल जाता है. तो ऐसा होता है प्रेम. मैं और तुम जहां पिघलकर एक हो जाते हैं. पहचानना मुश्किल हो जाता है कि यह किसका चेहरा है, किसका हाथ और कौन किसकी पहचान है. खुद को खोना ही पड़ता है प्यार को पाने के लिए. प्रेम के सिलसिले में खतों की बड़ी अहमियत रही है, हमेशा से. प्रेम करना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है और उस प्रेम को सही-सही रूप में अभिव्यक्त कर पाना उससे भी मुश्किल. यही वजह है कि प्रेमपत्र सिर्फ भावनाओं की अभिव्यक्ति का साधन भर नहीं रहे, एक दस्तावेज भी बन गये. संसार का सबसे पुराना प्रेम पत्र बेबीलोन के खंडहरों से मिला है. बेबीलोन की किसी युवती का प्रेमी अपनी रातों की बेचैनियां, धड़कनों का कारवां, आंसू और भय समेटकर उससे अपने दिल की बात कहने जब बेबीलोन पहुंचा तो वह युवती वहां से कहीं जा चुकी थी. अपनी सारी बेचैनी लेकर वह युवक वापस नहीं जा सका. उसने वहीं मिट्टी के फर्श पर खोदते हुए लिखा, 'मैं तुमसे मिलने आया था, तुम नहीं मिली, यह छोटा सा संदेश विरह की जिस भावना से लिखा गया था, उसमें कितनी तड़प शामिल थी, इसका अंदाजा सिर्फ वह युवती लगा सकती थी जिसके लिये इसे लिखा गया. भावनाओं से ओत-प्रोत यह पत्र ईसा से बहुत पहले का है. प्रेम जैसी गाढ़ी, गहरी भावना को अभिव्यक्त करने के लिए शब्द सचमुच नाकाफी होते हैं. तभी तो विश्व के बड़े-बड़े राजा, महाराजा, महारानियां, सेनाध्यक्ष, वैज्ञानिक, लेखक, राजनेता प्रेम की अभिव्यक्ति करते समय खासे नर्वस और नौसिखिये ही नजर आये. उनकी याद आयी है, सांसों जरा धीरे चलो,/धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है....तो अपनी धड़कनों पर काबू रखते हुए आइये सुनते हैं इन महान लोगों के प्यार की दास्तान उनके प्रेमपत्रों के जरिये-
अब्राहम लिंकन का पत्र मेरी ओवंस के नाम (स्प्रिंग फील्ड7 मई, १८३७)
(अब्राहम लिंकन: साधारण परिवार का बदसूरत लड़का था जो बाद में अमेरिका का राष्ट्रपति बना...जिसने दासों के व्यापार के बदसूरत धब्बे को अमेरिका के चेहरे से मिटा दिया।)
प्यारी मेरी,
इस पत्र को लिखने से पहले मैं दो बार और लिखने की कोशिश कर चुका हूं। दोनों ही बार मैं संतुष्ट नहीं हुआ और उन्हें तुम तक भेजने से पहले ही फाड़कर फेंक चुका हूं। ऐसा लग रहा है कि कोई भी शब्द मेरी भावनाओं को ठीक-ठीक अभिव्यक्त कर पाने में सक्षम नहीं है। अब यह चिट्ठी जैसी भी बनेगी मैं इसे जरूर भेज दूंगा।जहां मैं रहता हूं स्प्रिंग फील्ड में यहां का जीवन बहुत कठिन है मेरी प्यारी। मैं नहीं चाहता कि तुम यहां आओ और तुम्हारा सामना मुश्किलों से हो। यहां कोई शानो-शौकत नहीं है, गरीबी का आलम है। वैसे मैं तुम्हें आने वाले जीवन में सारे सुख देने की पूरी कोशिश करूंगा लेकिन अभी के जो हालात हैं, उन्हें मैं तुमसे छुपा नहीं सकता। तुम सोच-समझकर फैसला करना। मेरे पत्र के जवाब में तुम खूब लंबा पत्र लिखना। मेरे लिए इस व्यस्त और उजाड़ जीवन में एक बड़ा सहारा बनेगा।
तुम्हारा लिंकन
(यह पत्र लिंकन ने राष्ट्रपति बनने से बहुत पहले अपनी युवावस्था में लिखा था. मेरी ने लिंकन के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. )
अगला ख़त कल....
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