Saturday, September 27, 2025

'कबिरा सोई पीर है' की संरचना खास है- संगीता जोशी


प्रतिभा कटियार मैम का पहला उपन्यास 'कबिरा सोई पीर है' का पढ़ा जाना बहुत दिनों से पेंडिंग था ,किताबें पढ़ना पसंद है विशेष कर हिंदी की वह भी व्यस्तताओं के कारण आजकल धरा का धरा रह गया कुछ अच्छी किताबें का पता चला और उन्हें पढ़ा तो आपके साथ साझा कर रही हूं। 

बहुत दिनों बाद ऐसा कुछ पढ़ रही हूं जिसका तिलिस्म खींच रहा लगातार और बार-बार ऐसा जादू बरकरार रहा कि एक ही बैठकी में पूरी किताब 'कबिरा सोई पीर है' पढ़ डाली। काबिलेगौर है कि लेखिका स्त्रीवादी, साहित्य आलोचना के साथ-साथ शानदार पत्रिका 'पाठशाला भीतर और बाहर' का संपादन भी कर रही हैं। स्त्री अध्ययन पर इनका गंभीर लेखन इस बात को विशेष रूप से रेखांकित करता है कि स्त्रीवाद, साहित्य और विचार को लेकर इनके पास व्यापक अनुभव है।समृद्ध बुद्धि से सज्जित प्रतिभा कटियार के पास वे तमाम औजार और दृष्टि संपन्नता मौजूद है जिससे किसी कृति की मीमांसा या आलोचकीय विश्लेषण किया जाता है।

'कबिरा सोई पीर है' समाज और संवेदना का आईना है इस उपन्यास को पढ़ते हुए बार-बार लगा जैसे में ऋषिकेश की वादियों में चल रही हूं, गंगा की लहरें , त्रिवेणी घाट की आहट,, मरीन ड्राइव की हलचल और पहाड़ों की हरियाली, लेखिका ने इन्हें आत्मीय और गहन ढंग से पिरोया है कि पूरा वातावरण सजीव हो पड़ता है। कहानी का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि इसमें समाज की जातिगत जटिलताओं और स्त्री के साथ होने वाले अन्यायों को बहुत सच्चाई से दिखाया गया है। वे छोटी सी लगने वाली घटनाएं जिन्हें अक्सर मामूली समझ कर अनदेखा कर देते हैं यहां पूरी मार्मिकता के साथ सामने आती हैं और यह एहसास कराती हैं कि जिनके साथ यह हो रहा होता है वह जीवन बदल देने वाले क्षण होते हैं। 

यह उपन्यास इंसान के भीतर छिपे दोहरेपन उसकी कमजोरी उसके लालच और एडियलपन के साथ-साथ उसकी जीवटता और मानसिक संघर्षों को भी बारीकी से उजागर करता है। अलग-अलग कथाओं के माध्यम से समाज का असली चेहरा खुल कर सामने आता है और पाठक हर दृश्य का साक्षी सा बन जाता है। यह उपन्यास संवेदनाओं, संघर्षों और प्रेम के अनूठे संयोजन के रूप में सामने आता है इसमें व्यक्तिगत रिश्तो के साथ-साथ सामाजिक संदर्भ भी उतनी ही गहराई से उभरते हैं यही इसे एक प्रभावशाली और शानदार रचना बनता है। 

उपन्यास की संरचना भी बहुत खास है। हर खंड किसी शेर से शुरू होता है और अंत उसी शेर की पूर्णता के साथ। इस तरह पूरा उपन्यास कई हिस्सों में बंटकर भी एक सुंदर और गहरी कड़ी के रूप में पाठक से जुड़ती है। खोखले आदर्शों में कैसे पूरा मध्यवर्ग जीवन गर्व के साथ गुजरता है यह उपन्यास इसका एक रोचक दस्तावेज है, बहुत कुछ लिखा जा सकता है इस पर लेकिन इसके आगे के लिए आपको खुद ही पढ़ना पड़ेगा।

प्रतिभा मैम बहुत-बहुत शुभकामनाएं आपने अपनी कलम से दिल उतार दिए पन्नों पर कमाल का लेखन है,,बहुत बधाई व शुभकामनाएं!

No comments: