तुम्हारी हथेली में क्या कोई जादू है, 'लड़की ने लड़के की हथेली को खोलते हुए पूछा।'
लड़के ने हथेली खोली और हवा में उछाल दी। लड़की रूठ गई। लड़का मुस्कुरा दिया। उसने लड़की की पलकें मूँदीं और माथे पर आहिस्ता से चुंबन रखते हुए कहा, 'जादू मेरी हथेलियों में नहीं, तुम्हारे प्यार में है। देखना चाहोगी अपने प्यार का जादू?' लड़की के रूठने में तनिक लरज़ आई लेकिन उसने ठुनकते हुए ही कहा, 'नहीं मुझे कुछ नहीं देखना।' अच्छा? 'बारिश भी नहीं?' लड़के ने शरारत से पूछा।इतनी धूप खिली है, बारिश कहाँ से लाएगा ये। बावला है एकदम। लड़की ने मन ही मन सोचा और मुस्कुराकर बोली, 'हाँ बारिश ले आओ तो मान जाऊँगी।'
लड़के ने धीरे से लड़की की पलकों पर रखी अपनी हथेलियों को हटाया। सामने एक बड़ी सी झील थी जिसके किनारे पर बादलों की गुटर-गूँ चल रही थी।
कुछ ही पलों में पूरा मौसम ही बदल चुका था। झील को छूकर आती ठंडी हवा लड़की के गालों से टकराते हुए लाड़ कर रही थी।
तुम तो सच में जादूगर हो...लड़की ने सारा रूठना बिसरा दिया और लड़के के सीने में धंस गयी। तभी गुटर गूँ करते बादलों में से कुछ बादल उठे, अंगड़ाई ली और निकल पड़े अपनी बूंदों की पोटली लिए। नन्ही फुहार समूची झील पर ऐसे झर रही थीं जैसे झरती है उम्मीद।
लड़का भीग रहा था, लड़की भीग रही थी....दूर कहीं पाखी अपनी उड़ान की तैयारी में थे...
(पुणे, पनशेट)
1 comment:
बहुत सुंदर
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