Wednesday, July 26, 2023
चुंबन
जब तुमने पहली बार चूमा था
अज़ान की आवाज़ पिघल रही थी कानों में
गौरेया का जोड़ा थोड़ा करीब सरक आया था
दिन कहीं गया नहीं था
लेकिन शाम की दहलीज पर
रात खड़ी मुस्कुरा रही थी
एक नन्हे बच्चे ने
अपनी गुल्लक खनखनाई थी
मेरी ज़िंदगी की खाली पड़ी गुल्लक में
एक चमकता सिक्का गिरने की
आवाज़ आई थी
खाली पड़ी शाखों पर
अंखुएँ फूटने की आहट हुई थी
धरती उम्मीद से भर उठी थी
कि तुमने सिर्फ एक स्त्री को नहीं चूमा था
तुमने सहेजा था एक स्त्री का भरोसा
मेरे माथे पर तुम्हारा चुंबन
सूरज सा जगमगाता है
मेरी देह से तुम्हारी देह की
खुशबू कभी झरती नहीं...
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