Tuesday, April 18, 2023

यूँ ही साथ चलते-चलते- कविता कारवां



यूँ ही साथ चलते-चलते सात बरस हो गए. पता ही नहीं चला. हाँ, कविता कारवां के सफर को सात बरस होने को आये. जब शुरुआत की थी तब कहाँ पता था कि हम कब तक चलेंगे, कितने लोग साथ चलेंगे. बस इतना ही पता था कि हमें कहीं पहुंचना नहीं था बस साथ चलने का सुख लेना था. अगर विनोद जी कविता के बरक्स इस बात को कहूँ तो 'हम एक-दूसरे को नहीं जानते थे लेकिन साथ चलने को जानते थे.'

'कविता कारवां' यानी एक ऐसा परिवार जहाँ कविता प्रेमी जुड़ते हैं और अपनी प्रिय कविताओं को पढ़ते हैं, उनके बारे में बात करते हैं. इस प्यारे से सफर में जो सात बरस पहले शुरू भले ही देहरादून से हुआ था में देश भर से, दुनिया भर से लोग जुड़ते गए, जुड़ते जा रहे हैं.

अगर आप में से कोई भी अपने शहर में 'कविता कारवां' की बैठकें शुरू करनी हैं तो इनबॉक्स करें. शर्त बस इतनी सी है कि अपनी कविताओं का पाठ यहाँ नहीं होता सिर्फ अपनी प्रिय कविताओं को पढ़ना होता है वो हमें क्यों पसंद हैं इस बारे में बात करते हैं हम. असल में यह सफर कविताओं से प्यार का सफर है...इसे प्यार से ही आगे बढ़ाना है...तो बढ़ाइए हाथ और इस सफर में शामिल होकर इसे आगे बढ़ाइये...

सादर
कविता कारवां परिवार

2 comments:

Onkar said...

मेरे विचार में आपको इसे virtual बनाने के बारे में भी सोचना चाहिए. इससे देश-विदेश के कविता-प्रेमी जुड़ सकेंगे और विमर्श का स्तर भी बहुत ऊंचा होगा.

Ar Godara said...

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति कि आपने मुझे आपकी पोस्ट पढ़ने में बहुत ही सुन्दर लगी
thanks for sharing