Sunday, February 12, 2023

फ़िज़ूल का प्रेम


जब दुनिया में
हजार मसायल हों
तब प्यार की बात करना
फिजूल ही तो है
हाँ, भला प्यार में डूबे
दो लोग
दुनिया के किस काम के
लेकिन बिना प्यार में डूबे लोगों के
ये दुनिया भी भला किस काम की.

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मामूली सा प्यार
प्यार बहुत मामूली सी चीज़ है
बिलकुल उतना ही मामूली
जैसे दाल में
ठीक-ठीक नमक
जैसे रोटी पर
जरा सा घी
जैसे मजदूर की थाली में
भरपेट खाना
जैसे बच्चों के हाथों में
खिलौने
जैसे आँखों में नींद
नींद में सपने
सपनों में तुम
और तुम्हारा
वो जाते-जाते पलटकर देखना...
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एक रोज खूब भूख लगी
भरपेट खाना खाया
खूब नींद लगी
देर तक सोयी रही
दिन में कई बार चाय पी
बादल थे नहीं आकाश में
लेकिन बारिश की
बाट जोहती रही
आईना देखा नहीं दिन भर
और बेवजह मुस्कुराती रही
फिर देर तक दीवार घड़ी की
सेकेण्ड की सुई की रफ्तार
ताकती रही
कितना सरल सा तो था प्यार.
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एक रोज लड़की ने कहा
‘जा मैं तुझे प्रेम नहीं करती’
यह कहकर वो
देर तलक खिलखिलाई
लड़के ने उसकी खिलखिलाहट को
अपने धानी बोसे में
छुपा लिया.

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सपनों में से
नींदें गुम गयीं
रातों में घुल गयी
सिरफिरी सी एक रात
दिन निकला
लेकिन जाने कहाँ
ठिठका ही रहा
उदास शामें सिमट गयीं
मुस्कुराहटों के आगोश में
बस कि जरा सा
प्यार ही तो हुआ था
और तो कोई बात नहीं थी.

- प्रतिभा कटियार


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