दोनों प्यारी रहेलियां हैं. घर के प्रति, मेरे प्रति दोनों इतनी जिम्मेदार हैं कि कई बार आँखें छलक पड़ती हैं कि कितना प्यार है जीवन में. कितनी ही बार बीमारी की हालात में सोनू ने बिस्तर से उठने नहीं दिया. सब्जी से लेकर दूध तक सब संभालती है. जब भी घर से बाहर होती हूँ, दोनों की मुस्तैदी बढ़ जाती है. मुझसे ज्यादा चिंता करती हैं ये घर की बेटू की, माँ पापा की.
ईमानदारी, प्यार और खुशमिजाजी से भरी ये सहेलियां कई बार मुझे डांटती भी हैं, 'क्या दीदी, आप तो सब भूल ही जाती हैं.' सचमुच ये दोनों मुझे लापरवाह भी बना रही हैं. और इनसे डांट खाने का सुख भी अलग ही होता है.
कितने ही मुश्किल पलों को ये दोनों आगे बढ़कर आसान बना देती हैं, यह कहकर, 'आप फ़िक्र न करो, हम कर देंगे.' इन दिनों घर से दूर हूँ और पल-पल घर की फ़िक्र में ये दोनों मुस्तैद हैं. पापा को ठंडी रोटी न खानी पड़ी इसकी फ़िक्र सोनम संभाले है और बेटू का टिफिन टाइम पर बने और घर बिखरा न रहे इसकी चिंता सोनू उठाये हैं.
इन दोनों प्यारी लड़कियों को मुझसे बहुत प्यार है क्या यह कहने की बात है कि मुझे भी...
शुक्रिया प्यारी सखियों, तुम्हारी मुस्कुराहटें यूँ ही बने रहें.
1 comment:
लड़कियां केअर पर उतर आती है तो इनसे बेटर कोई नहीं।
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉👉 लोग बोले है बुरा लगता है
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