डू यू लव मी ?
अपनी देह के तमाम घाव बिसरा कर, रेंगकर सूख चुके खून की पपड़ियों के बीच बेहद विश्वास से भर कर वो उससे पूछती है. विश्वास, हाँ यही तो होता है इकलौता सिरा प्रेम का, वो उसकी आँखों में लबालब था.
डू यू लव मी ?
वो फिर से पूछती है. उस पोखर का पानी उसकी आँखों में है जिसमें पांव डाले वो चांदनी रात में एक दूसरे की हथेलियों की लकीरों को बहा दिया था. उस पोखर के भीतर प्रेम का समंदर उमड़ आया था. उस झरने के नमी थी उसकी आवाज में जिसके किनारे किल्लोल करते वक़्त खुद से बिछड़ जाने को बेचैन हो उठी थी वो. अपनी देह के तमाम जख्मों पर वो एक मरहम लेने लौटी थी.
डू यू लव मी ?
वो एक बार फिर पूछती है.प्रेमी का मौन से वो आशंकित है. इस बार उसका सवाल खाली नहीं जाता। वो उसकी आँखों में आँखें डालकर कहता है'नहीं'.
बस अगले ही पल एक गोली वो अपने सीने में उतार लेती है.…
वो प्रेमी जो उसकी खुशबू के पीछे बौराया फिरता है उसे उसी प्रेम के समंदर वाले पोखर में डुबो देता है. जिसकी साँसों की गर्मी से वो पिघल जाया करता था अब अपनी सांसों को बचाने के लिए उसकी एक एक चीज़ को ठिकाने लगाता फिरता है.… अपनी पत्नी और बच्चे के साथ सामान्य जीवन में लौटना उसकी च्वाइस है. हालाँकि प्रेमिका जानती थी कि'लव इस नॉट अ च्वाइस'....
(दिन में'मसान'के ट्रेलर देखकर ही उस फिल्म को देख पाने की हिम्मत नहीं जुटा पायी सो'बिफोर द रेन्स' देखने लगी. नंदिता दास और राहुल बोस को अरसे बाद स्क्रीन पर देखना अच्छा लगा. लेकिन प्यार के ऐसे अंजाम से दिल उदास भी है. फिल्म के और भी पहलू हैं लेकिन फ़िलहाल तो आसमान में टंगे बादलों और भारी बारिश की चेतावनी के बीच ' बिफोर द रेन्स ' ही आँखों से बरस रही है)
अपनी देह के तमाम घाव बिसरा कर, रेंगकर सूख चुके खून की पपड़ियों के बीच बेहद विश्वास से भर कर वो उससे पूछती है. विश्वास, हाँ यही तो होता है इकलौता सिरा प्रेम का, वो उसकी आँखों में लबालब था.
डू यू लव मी ?
वो फिर से पूछती है. उस पोखर का पानी उसकी आँखों में है जिसमें पांव डाले वो चांदनी रात में एक दूसरे की हथेलियों की लकीरों को बहा दिया था. उस पोखर के भीतर प्रेम का समंदर उमड़ आया था. उस झरने के नमी थी उसकी आवाज में जिसके किनारे किल्लोल करते वक़्त खुद से बिछड़ जाने को बेचैन हो उठी थी वो. अपनी देह के तमाम जख्मों पर वो एक मरहम लेने लौटी थी.
डू यू लव मी ?
वो एक बार फिर पूछती है.प्रेमी का मौन से वो आशंकित है. इस बार उसका सवाल खाली नहीं जाता। वो उसकी आँखों में आँखें डालकर कहता है'नहीं'.
बस अगले ही पल एक गोली वो अपने सीने में उतार लेती है.…
वो प्रेमी जो उसकी खुशबू के पीछे बौराया फिरता है उसे उसी प्रेम के समंदर वाले पोखर में डुबो देता है. जिसकी साँसों की गर्मी से वो पिघल जाया करता था अब अपनी सांसों को बचाने के लिए उसकी एक एक चीज़ को ठिकाने लगाता फिरता है.… अपनी पत्नी और बच्चे के साथ सामान्य जीवन में लौटना उसकी च्वाइस है. हालाँकि प्रेमिका जानती थी कि'लव इस नॉट अ च्वाइस'....
(दिन में'मसान'के ट्रेलर देखकर ही उस फिल्म को देख पाने की हिम्मत नहीं जुटा पायी सो'बिफोर द रेन्स' देखने लगी. नंदिता दास और राहुल बोस को अरसे बाद स्क्रीन पर देखना अच्छा लगा. लेकिन प्यार के ऐसे अंजाम से दिल उदास भी है. फिल्म के और भी पहलू हैं लेकिन फ़िलहाल तो आसमान में टंगे बादलों और भारी बारिश की चेतावनी के बीच ' बिफोर द रेन्स ' ही आँखों से बरस रही है)
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