ये किसके विरह में
जल उठे हैं पलाश के जंगल
ये किसकी उदासियों पर डाल देते हैं
शोख रंगों की चूनर
किसके इंतजार की खुशबू में
महकते रहते हैं दिन-रात
किसकी तलाश में
गुम रहते हैं बरसों बरस
आखिर किसकी मुस्कुराहटों का
इन्हें इंतजार है...
आखिर ये किसका प्यार हैं...
2 comments:
Waaah Prtibha ji bahut sundar likha hai apne ......badhai
सार्थक प्रस्तुति
Post a Comment